केंद्र सरकार ने OTT, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान कर दिया है.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने OTT, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर ने इन गाइडलाइंस के बारे में जानकारी दी. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत में व्यापार करने के लिए सोशल मीडिया का स्वागत है, लेकिन सोशल मीडिया में ऐसे ऐसे प्रेजेंटेशन आ रहे हैं, जो किसी भी तरह से सभ्य नहीं कहे जा सकते हैं, ऐसी शिकायतें हमारे पास बहुत आई थीं.
रविशंकर ने कहा कि सोशल मीडिया यूजर्स की समस्या के लिए फोरम होना चाहिए. सोशल मीडिया का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकी भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल की कई सालों से शिकायतें आ रही हैं, फेक न्यूज की ये हालत है कि कई न्यूज चैनल को फैक्ट चेक सेल बनाना होगा.
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1. नई गाइडलाइंस के मुताबिक सोशल मीडिया को एक शिकायत सेल बनाना होगा
2. कोई कंटेंट हटाने से पहले उसका कारण बताना जरूरी होगा
3. शिकायत करने पर आपत्तिजनक पोस्ट को 24 घंटे में हटाना होगा
4. हर महीने शिकायत पर कार्रवाई की जानकारी देनी होगी
5. सोशल मीडिया के ये नियम तीन महीने के अंदर लागू होंगे
6. चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो कि नियमों के कप्लांयस को लेकर जिम्मेदारी होगा
7. एक नोडल कॉन्टैक्ट परसन की भी नियुक्ति करनी होगी, जो 24X7 लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियों से तालमेल बैठाकर रखेगा
8. नियुक्त किए गए ये दोनों अधिकारी भारत में रहने वाले होंगे
9. रेजिडेंट ग्रीफांस अधिकारी की भी नियुक्ति करनी होगी
10. सबसे पहले पोस्ट डालने वाले की जानकारी देनी होगी
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कैपिटल हिल हिंसा का विरोध हुआ तो लाल किले की हिंसा का भी विरोध होना चाहिए, सोशल मीडिया इसमें डबल स्टैंडर्ड नहीं अपना सकती.
सोशल मीडिया के साथ साथ OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए भी गाइडलाइंस केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जारी की. उन्होंने कहा कि मीडिया के हर प्लेटफॉर्म के लिए नियम जरूरी है. उन्होंने बताया कि OTT कंपनियों से कहा गया था कि वो न्यूज मीडिया की तरह एक सेल्फ रेगुलेशन बनाएं, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकीं. जावडेकर ने कहा कि मीडिया की आजादी लोकतंत्र की आत्मा है, फिल्मों के लिए एक सेंसर बोर्ड होता है, लेकिन OTT के लिए ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं है. इसलिए एक मैकेनिज्म तैयार होना चाहिए. डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को झूठ और अफवाह फैलाने का कोई हक नहीं है.
1. दर्शकों की उम्र के हिसाब से कंटेंट के वर्ग बनाए जाएंगे
2. OTT कंटेंट की पांच कैटेगरी बनाई जाएंगी
3. U, U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+, और A कैटेगरी होगी.
4. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पैरेंटल लॉक की सुविधा देनी होगी
5. एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही होगा
6. OTT प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी
7. फर्जी कंटेंट डालने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी
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