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दिल्ली: टू व्हीलर पर सफर करना बहुत खतरनाक है. सरकारी आंकड़े तो कुछ इस तरह की ही गवाही दे रहे हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोक सभा में जो आंकड़े पेश किए हैं उनके मुताबिक 2019 में जिन 1,67,184 लोगों ने सड़क हादसे में जान गंवाई, वो टू व्हीलर पर सवारी कर रहे थे. इन आंकड़ों से साफ हो गया है कि टू व्हीलर सवार हादसों में ज्यादा जान गंवाते हैं.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में 2016 से लेकर 2019 तक के आंकड़े पेश किए हैं. जिनमें कुल सड़क हादसों की संख्या, हादसे में मारे गए लोग, टू व्हीलर से हादसे सहित पूरी जानकारी दी गई है.
साल | कुल हादसे | हादसों में कुल मौत | टू व्हीलर सवार लोगों की मौत |
2016 | 4,80,652 | 1,50785 | 44,366 |
2017 | 4,64,910 | 1,47,913 | 44,092 |
2018 | 4,67,044 | 1,51,417 | 47,560 |
2019 | 4,49,002 | 1,51,113 | 56,136 |
आंकड़ों से साफ जाहिर कि हादसों में कुल लोगों की मौत में सबसे ज्यादा आंकड़ा टू व्हीलर से हादसों का है. 2016 के मुकाबले 2017 में थोड़ी कमी जरूर आई लेकिन 2018 में एक बार फिर ये आंकड़ा बढ़ गया. 2016 के मुकाबले 3 हजार से ज्यादा टू व्हीलर सवार 2018 में मारे गए जबकि 2019 में तो ये आंकड़ा और ज्यादा बढ़ गया. 2019 में 56,136 टू व्हीलर सवार हादसे का शिकार बने.
टू व्हीलर पर हादसों में ज्यादा जन हानि की सबसे बड़ी वजह ये भी है कि ड्राइविंग के दौरान लापरवाही बहुत की जाती है. तेज रफ्तार में ड्राइव करना या फिर साइड मिरर न होना भी हादसों की बड़ी वजह मानी जाती है. साइड मिरर न होने पर टू व्हीलर सवार ये देखने के लिए कि कोई वाहन तो नहीं आ रहा है पीछे देखते हैं, इस दौरान हादसे की आशंका काफी बढ़ जाती है. ड्रंकन ड्राइव भी टू व्हीलर हादसों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार मानी जाती है.
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दिल्ली में टू व्हीलर पर साइड मिरर अनिवार्य कर दिए गए हैं. साइड मिरर न होने पर चालान काटे जा रहे हैं. सड़क हादसों में कमी लाने के लिए इस नियम को लागू किया गया है जिसका असर भी देखने को मिल रहा है. साइड मिरर होने से टू व्हीलर सवार को पीछे से आ रहा वाहन शीशे में दिख जाता है और वो काफी पहले से ही अलर्ट हो जाता है या फिर देखकर ही साइड बदलता है.
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