नई दिल्ली : NSE Scam : एनएसई केस में सीबीआई (CBI) को बड़ी कामयाबी मिली है. जांच एजेंसी ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं CEO चित्रा रामकृष्ण के फैसलों को प्रभावित करने वाले हिमालय वाले 'योगी' बाबा की पहचान कर ली है. सीबीआई को कई ऐसे बड़े सुबूत मिले हैं जिसके आधार पर गुमनाम योगी की पहचान हुई है.
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नई दिल्ली: NSE Scam Latest Update: एनएसई केस में सीबीआई (CBI) को बड़ी कामयाबी मिली है. कई सुबूतों के आधार पर जांच एजेंसी ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं CEO चित्रा रामकृष्ण के फैसलों को प्रभावित करने वाले हिमालय वाले 'योगी' बाबा की पहचान कर ली है. सीबीआई को कई ऐसे सुबूत मिले हैं जिससे यह साबित होता है कि गुमनान 'योगी' अब गुमनाम नहीं रहे हैं.
एनएसई स्कैम की परतें खुलती जा रही है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) जिस हिमालयन योगी (Himalayan Yogi) के कहने पर फैसले लेती थीं, उसकी पहचान कर ली गई है. ये गुमनाम 'योगी' कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) ही है. दरअसल, अर्न्स्ट एंड यंग (E&Y) की जांच में ऐसे कई बड़े और पुख्ता सुबूत मिले हैं, जो साबित करते हैं कि रहस्यमयी 'हिमालयन योगी' सुब्रमण्यम ही हैं.
ईएंडवाई ने बताया कि जांच में एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम के चेन्नई वाले आवास से सिर्फ 13 मीटर दूर स्थित दो जियोटैग तस्वीरें, हिमालयन योगी की ओर से बुक किया गया होटल जिसका भुगतान सुब्रमण्यम ने किया था, योगी को भेजे गए ईमेल अटैचमेंट और योगी एवं सुब्रमण्यम के बीच बातचीत जैसे सुबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि योगी कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ही है. और बताया जा रहा है कि जल्दी ही सीबीआई इसका खुलासा कर सकता है.
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आनंद सुब्रमण्यम की गिरफ्तार सेबी की एक रिपोर्ट जिसमें पता चला कि आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति में चित्रा रामकृष्ण ने नियमों का उल्लंघन किया और इस ईमेल आईडी rigyajursama@outlook.com के जरिये हिमालयन योगी से एनएसई की गोपनीय जानकारी साझा की के आधार पर हुई. सीबीआई के पास ईएंडवाई की रिपोर्ट है और अगले कुछ दिनों में ही सीबीआई इन तथ्यों का खुलासा करेगी.
ईएंडवाई के अनुसार, जनवरी 2000 और मई 2018 के बीच रामकृष्ण, सुब्रमण्यम और हिमालयन योगी के बीच बातचीत से कई गुत्थियाँ सुलझ रही है. गौरतलब है कि अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक रामकृष्ण एनएसई की एमडी और सीईओ रहीं. और इसी दौरान सुब्रमण्यम की भई नियुक्ति हुई थी. ईएंडवाई ने अटैचमेंट वाले 17 ईमेल की पड़ताल की जिसमें आठ तस्वीरें थीं, इनमें दो तस्वीरों को जियोटैग किया गया था. दोनों तस्वीरों का स्थान चेन्नई में सुब्बू (सुब्रमण्यम) के आवासीय पते के आस-पास था.
ईएंडवाई की रिपोर्ट के अनुसार, उमेद भवन पैलेस में की गई एक बुकिंग भी बहुत बड़ा सुबूत है. 1 दिसंबर 2015 को rigyajursama@outlook.com से रामकृष्ण को एक ईमेल भेजा गया जिसमें कहा गया था कि कंचन की (रेफरेंस टू सुब्रमण्यम) छुट्टी को मंजूरी मिल गई है और एमई की ओर से उम्मेद भवन में बुकिंग कर दी गई है. सुब्रमण्यम के बैंक स्टेटमेंट के अनुसार 27 नवंबर 2015 को उमेद भवन पैलेस को 237984 रुपये का भुगतान भी किया गया था.
ईएंडवाई ने सुब्रमण्यम को एनएसई से मिले डेस्कटॉप पर इस्तेमाल किए गए स्काइप प्रोफाइल की भी पड़ताल की. इस रिपोर्ट के अनुसार, साझा डेस्कटॉप में सुब्रमण्यम के यूजर प्रोफाइल में सानंद के बारे में बताया गया था. विंडोज प्रोफाइल सानंद से संबंधित डेस्कटॉप डेटा की पड़ताल में पाया गया कि anand.subramanian9 और siromani.10 के नाम से स्काइप खाते स्काइप एप्लिकेशन डेटाबेस में कन्फिगर किए गए थे.
अब बात अकरेट हैं अगले सुबूत की. यूजर प्रोफाइल नेम sironmani.10 वाला स्काइप खाता ईमेल आईडी rigyajusama@outiook.com और मोबाइल नंबर +9191675774 12 जो कि एनएसई की ओर से सुब्बू को दिया गया था से जुड़ा था. रामकृष्ण के साथ siromani.10 द्वारा स्काइप चैट में उपयोग की जाने वाली भाषा rigyajursama@outlook.com से रामकृष्ण से बातचीत के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के समान थी. यानी भाषा की भी स्पष्ट समानता दिख रही है.