Per Capita Spending: पिछले दस साल से ज्यादा के समय में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में होने वाला खर्च दोगुने के भी पार चला गया है. इस दौरान सबसे ज्यादा खर्च खाद्य पदार्थों पर बढ़ा है. वहीं हेल्थ-एजुकेशन पर भी तेजी से खर्च हुआ है.
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Consumer Spending: देश में पिछले 11 साल में परिवारों का हर महीने का खर्चा दोगुना से भी ज्यादा बढ़ गया है. आंकड़ों से साफ हुआ है कि परिवारों का एक व्यक्ति का हर महीने का घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से ज्यादा हो गया. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की स्टडी में यह तथ्य सामने आया है. एनएसएसओ (NSSO) की तरफ से अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक देशभर में घरेलू खर्च को लेकर सर्वे किया गया. साल 2011-12 में ग्रामीण परिवार में हर महीने औसतन खर्च 1,430 रुपये महीना था, जो कि 2022-23 में बढ़कर 3,773 रुपये पर पहुंच गया है. शहरी परिवारों का खर्च इस दौरान 2,630 रुपये से बढ़कर 6,459 रुपये हो गया.
हर साल किया जाता है सर्वे
यह सर्वे हर साल किया जाता है, इसका मकसद यह जानना होता है कि आम आदमी हर महीने कितना खर्च करता है. साथ ही, ये खर्च अलग-अलग राज्यों और शहरों में कैसा है, इस पर भी जानकारी मिलती है. सर्वे से यह भी साफ हुआ कि शहरों और गांवों के बीच खर्च के अंतर में कमी आई है. पहले के मुकाबले एजुकेशन और हेल्थ पर खर्च तेजी से बढ़ा है. खाद्य पदार्थों पर सबसे ज्यादा खर्च बढ़ा है. इस सर्वे से यह साफ हो रहा है कि पिछले 11 साल में लोगों की जरूरतें और खर्च दोनों बढ़े हैं. सरकार को लोगों की जरूरत को ध्यान में रखकर योजनाएं बनानी चाहिए.
किस हिसाब से बढ़ा खर्च
सर्वे के अनुसार 2011-12 की कीमतों पर औसत एमपीसीई (MPCE) शहरी क्षेत्रों में 2011-12 में 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,510 रुपये हो गया. इसी तरह, 2011-12 की कीमतों पर ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,008 रुपये हो गया. शहरी क्षेत्रों में मौजूदा कीमत पर एवरेज एमपीसीई (MPCE) 2011-12 में 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,521 रुपये हो गया.
ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,054 रुपये हो गया. एमपीसीई (MPCE) का अनुमान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले केंद्रीय नमूने में 2,61,746 घरों (ग्रामीण क्षेत्र के 1,55,014 और शहरी क्षेत्र के 1,06,732 घर) से इकट्ठा किए गए आंकड़ों पर बेस्ड है.