Armenia proposes Iran-Black Sea corridor: आर्मेनिया ने भारतीय कारोबारियों को फारस की खाड़ी और काला सागर (Persian Gulf-Black Sea corridor) के रास्ते रूस और यूरोप से कनेक्ट करने का प्रस्ताव दिया है. ये प्रस्ताव उस वक्त आया है जब आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान (Ararat Mirzoyan) भारत दौरे पर आने वाले हैं. प्रस्तावित कॉरिडोर इंटरनैशनल नॉर्थ साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के समानांतर गुजरेगा. जिसका मकसद भारत के मुंबई पोर्ट को ईरान के बंदरअब्बास (Bandar Abbas) पोर्ट से जोड़ते हुए आर्मीनिया के रास्ते यूरोप या रूस तक जोड़ना है. उसके इस कदम से भारत, पाकिस्तान और तुर्की के उस दोस्त अजरबैजान को बायपास कर सकेगा, जिससे भारत के रिश्ते अच्छे नहीं है.
तुर्की, पाकिस्तान और अजरबैजान की तिकड़ी से परेशान आर्मेनिया ने भारत को एक बड़ा प्रस्ताव देते हुए मुंबई पोर्ट से ईरान के रास्ते रूस तक जाने वाले नए ट्रेड कॉरिडोर का ऑफर दिया है. आर्मेनिया से होकर जाने वाला ये कॉरिडोर ईरान के बंदरअब्बास बंदरगाह से भारत को यूरोप तक पहुंच देगा. इस नए कॉरिडोर के जरिए भारत उस अजरबैजान को बायपास कर सकेगा जो आर्मेनिया को दुश्मन मानते हुए पाकिस्तान और तुर्की से रिश्ते निभाता है. आपको बता दें कि आर्मेनिया बेहतर भविष्य के लिए भारत का सहयोग चाहता है.
इस कॉरिडोर के जरिए ईरान आर्मेनिया के रास्ते भी जार्जिया से रेल लिंक से जुड़ जाएगा. आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही जार्जिया से रेल और हाइवे के जरिए जुड़े हुए हैं. अजरबैजान ने ईरान सीमा तक रेल और रोड बना रखी है. हालांकि ईरान में अभी 165 किमी तक रेल बनाया जाना बाकी है. जनवरी 2023 में रूस और ईरान दोनों मिलकर इस रेल लाइन को बनाने पर सहमत हुए हैं. इसके लिए रूस फंडिंग समेत बाकी जिम्मेदारी संभाल रहा है.
भारत बहुत बड़े पैमाने पर सामान रूस से ईरान के रास्ते मंगवा रहा है. यह रास्ता अजरबैजान से होकर जाता है. ऐसे में आर्मीनिया से होकर जाने वाला यह कॉरिडोर ईरान के बंदरअब्बास बंदरगाह से भारत को यूरोप या रूस तक आसानी से पहुंच मुहैया कराएगा.
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है. दोनों में इस क्षेत्र को लेकर युद्ध और टकराव की स्थिति बनी रहती है. ऐसे में अजरबैजान को पाकिस्तान और तुर्की से सपोर्ट मिलता है तो आर्मेनिया अपनी स्थिरता के लिए भारत की मदद चाहने के मकसद से इस कॉरिडोर का प्रस्ताव दे रहा है. ये कॉरिडोर आर्मेनिया की इकॉनमी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.
आर्मेनिया के ईरान से बहुत ही करीबी संबंध रहे हैं. फारस की खाड़ी और काला सागर के जरिए कॉरिडोर बनना भारत की योजनाओं से मेल खाता है. तो भारत भी यूरोप तक पहुंच बनाने के लिए एक अतिरिक्त रास्ते की तलाश कर रहा है जो स्वेज नहर से अलग हो और रूस तथा पश्चिमी देशों के बीच तनाव का इस रास्ते पर कोई असर नहीं हो.
बदली वैश्विक परिस्थितियों में रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत का मास्को के साथ व्यापार कई गुना बढ़ गया है. भारत रूस के साथ इंटरनैशनल नॉर्थ साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के जरिए व्यापार कर रहा है जो ईरान और कैस्पियन सागर के जरिए रूस को जोड़ता है. अजरबैजान इसका हिस्सा है लेकिन वो किसी के उकसावे में आकर अपने आधारभूत ढांचे को बेहत सुस्त रफ्तार और लचर रवैये के साथ पूरा कर रहा है.
अजरबैजान लगातार आर्मेनिया पर हमले कर रहा है. जिससे बचने के लिए वो भारत से हथियार खरीद रहा है. रक्षा और सैन्य संबंधों से इतर आर्मीनिया अब भारत के सहयोग से आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहता है. इस वजह से आर्मेनिया का कहना है कि भारत उसके इलाके में इस नए कॉरिडोर को बनाने में निवेश करे.
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