The Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI) ने सरकार से मांग की है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24(b) के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स राहत की सीमा को खत्म कर दिया जाए, या फिर इसे 2 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया जाए.
इसके अलावा FICCI ने ये भी सुझाव दिया है कि होम लोन रीपेमेंट पर मिलने वाली टैक्स छूट को इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के साथ शामिल नहीं किया जाए. FICCI ने मांग की है कि इस डिडक्शन को 80C के तहत दी जाने वाली 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट से अलग दिया जाए, दूसरा रास्ता ये है कि सेक्शन 80C की लिमिट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया जाए.
इस सुझाव के पीछे FICCI का तर्क है कि ज्यादातर लोग हाउसिंग लोन लेकर घर खरीदते हैं, और इस लोन को अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई से चुकाते हैं. ये डिडक्शन लोगों की खरीदने की क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा और इकोनॉमी को भी फायदा होगा.
अभी किसी दुकान और कमर्शियल स्पेस के लिए कार्पेट एरिया की सीमा कुल कार्पेट एरिया के 3 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती है. साथ ही कोई प्रोजेक्ट तभी पूरा माना जाता है जब उस पूरे प्रोजेक्ट को Section 80-IBA के तहत संबंधित अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता. FICCI का सुझाव है कि इस सीमा को आसान किया जाना चाहिए. साथ ही अगर प्रोजेक्ट में अगर कोई प्रोजेक्ट कई चरणों में पूरा हो रहा है, तो हर चरण के शुरू होने के 5 साल के कंप्लीशन पीरियड की शर्त को आसान किया जाना चाहिए.'
FICCI की दलील है कि 'अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट जब बनाई जाती है तो एक बहुत बड़ी जमीन पर कई बिल्डिंग्स का निर्माण होता है. पूरे प्रोजेक्ट को 5 साल में पूरा करना बेहद मुश्किल है. आमतौर पर ऐसे प्रोजेक्ट्स कई चरणों में बंटे होते हैं. ऐसे में प्रोजेक्ट के हर चरण को पूरा करने की लिमिट 5 साल होनी चाहिए. साथ ही 5 साल की ये अवधि उस फेज के लिए सभी मंजूरियां मिलने के बाद शुरू होनी चाहिए.'
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