जैसा कि नाम से ही जाहिर है, डायरेक्ट टैक्स वो टैक्स होते हैं जो कोई व्यक्ति यानी इंडिविजुअल या कंपनी और संस्था सीधे सरकार को देती है. ये जिम्मेदारी किसी दूसरे को ट्रांसफर नहीं की जा सकती है, यानी जिसे टैक्स देना है उसे ही देना होगा, उसकी जगह पर कोई दूसरा वो टैक्स नहीं देगा. ये टैक्स सीधे तौर पर टैक्स अथॉरिटी आपसे लेती है. देश में कई तरह के डायरेक्ट टैक्स होते हैं, जैसे इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स, कैपिटल गेंस टैक्स. यानी अगर कामकाजी आदमी हैं तो आपको डायरेक्ट टैक्स देना होता है.
इनडायरेक्ट टैक्स एक ऐसा टैक्स हैं, जिसे कमाने वाला और बेरोजगार दोनों ही चुकाते हैं. ऐसे समझ लीजिए कि जब भी कोई प्रोडक्ट आप खरीदते हैं उसकी कीमत में टैक्स जुड़ा होता है. यानी आप इनडायरेक्ट तरीके से टैक्स चुकाते हैं. इस टैक्स को हम अब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कहते हैं. ये टैक्स प्रोडक्ट के साथ साथ हर उस सर्विस में जुड़ा होता है जिसे आप लेते हैं. जैसे अगर आप बाल कटवाने गए तो उस पर भी आपको टैक्स देना होता है. इस टैक्स का आपकी कमाई से कोई लेना देना नहीं होता. क्योंकि ये टैक्स आपकी कमाई पर नहीं लगता है.
जुलाई 2017 में पूरे देश में GST लागू किया गया था. इस नए सिस्टम ने इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम को रिफॉर्म कर दिया था. दर्जनों टैक्स जैसे एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, VAT सबकुछ खत्म कर GST लागू किया गया था, ताकि इनडायरेक्ट सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी, आसान और बेहतर बनाया जा सका. GST का मकसद पूरे देश में एक जैसा टैक्स सिस्टम लागू करना है, ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके और हर प्रोडक्ट और सर्विस पर सही टैक्स वसूला जा सके.
इस बीच CBDT ने भी डायरेक्ट टैक्स को लेकर कई तरह के रिफॉर्म किए हैं. साल 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स को 30 परसेंट से घटाकर 22 परसेंट कर दिया गया. नई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए कॉर्पोरेट टै्स को 15 परसेंट किया गया है. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को भी खत्म कर दिया गया था.
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