Union Budget 2023: पीएम मोदी ने साल 2014 में देश की कुर्सी संभाली है. तब से लेकर अब तक मोदी राज में बजट से जुड़ी कई परंपराओं में बदलाव आया है. इसे आप यूं भी कह सकते हैं कि पीएम मोदी के ही कार्यकाल में बजट से जुड़ी कुछ परंपराएं टूटी हैं. इनमें से कुछ तो अंग्रेजों के शासनकाल से चली आ रही थीं.
इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को देश का आम बजट संसद में पेश करेंगी. मोदी राज में जिन परंपराओं को बदला गया है, उनमें से कुछ आम बजट (Union Budget) से जुड़ी हुईं थीं. आइए जानते हैं उन परंपराओं और नए बदलाव के बारे में-
अंग्रेजों के जमाने से बजट हर साल की 28 फरवरी को पेश किया जाता था. लेकिन 2017 से इसे 1 फरवरी को पेश किया जाता है. मोदी राज में ही साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को पहली बार बजट पेश किया था. इस बदलाव की वजह बजट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को 1 अप्रैल से पहले पूरा कर लेना था.
अंग्रेजों के शासन काल से लेकर 2016 तक रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश किया जाता था. लेकिन 2016 में 1924 से चली आ रही इस परंपरा को खत्म कर दिया गया. पहले रेल बजट को संसद में आम बजट से पहले रखा जाता था. लेकिन 2016 से रेल बजट भी यूनियन बजट का ही हिस्सा हो गया.
1947 में वित्त मंत्री आरसीकेएस चेट्टी बजट दस्तावेजों को चमड़े से बने ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे. लेकिन 5 जुलाई 2019 को वित्त मंत्री लाल कपड़े के बही खाते में बजट से जुड़े दस्तावेज लेकर संसद पहुंचीं. कोरोना महामारी को देखते हुए 2021 में इसे टैबलेट का रूप दे दिया गया.
मोदी राज में ही साल 2015 में योजना आयोग को समाप्त करके नीति आयोग का गठन किया गया. इस बदलाव के साथ ही देश में बनने वाली पंच वर्षीय योजनाएं भी खत्म हो गईं.
साल 2022 में कोविड महामारी के कारण बजट की छपाई शुरू होने से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी को भी नहीं किया गया. हलवा सेरेमनी की बजाय इस बार कोर स्टॉफ को उनके कार्यस्थलों पर 'लॉक-इन' से गुजरने के कारण मिठाई दी गई.
अब 2023 में भी बजट से जुड़ी एक परंपरा बदलने की पूरी संभावना है. यह है वित्त मंत्री नए संसद भवन में बजट पेश कर सकती हैं. नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का कैम्पस 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला है.
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