Advertisement
photoDetails1hindi

कोरोना महामारी के दौर में मालामाल बना चीन, FDI लाने में भारत भी नहीं रहा पीछे

यूनाइटेड नेशंस की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक पूरी दुनिया के देशों में एफडीआई की दर बहुत कम रही और वैश्विक स्तर पर तो 42 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई

चीन निकला सबसे आगे

1/5
चीन निकला सबसे आगे

वॉशिंगटन डीसी/बीजिंग: कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की सांसे थम रही हैं, तो चीन इस दौर में भी जबरदस्त ग्रोथ हासिल करने में सफल रहा. अब यूनाइटेड नेशंस की तरफ से जारी किए गए नए आंकड़ों में इस बात की जानकारी मिल रही है कि कोरोना महामारी के दौर में एक तरफ दुनिया भर की अस्थव्यवस्थाएं संकुचित हो रही थी, निवेशक अपना पैसा बाजार से निकालने की कोशिश कर रहे थे, तो दूसरी तरफ चीन इस दौर में न सिर्फ मालामाल होता गया, बल्कि उसने खूब विदेशी धन भी आकर्षित किया. हालांकि इस दौरान भारत भी पीछे नहीं रहा.

निवेशकों की पसंद बना चीन!

2/5
निवेशकों की पसंद बना चीन!

अभी तक हर साल सबसे ज्यादा एफडीआई लाने वाले देश के तौर पर अमेरिका आगे रहता था. चीन उसके आधे आंकड़े पर रुकता था. लेकिन कोरोना महामारी दौर में निवेशकों का भरोसा अमेरिका की तरफ नहीं, बल्कि चीन की तरफ बढ़ा. यहां तक कि इंग्लैंड में एफडीआई आने की जगह निवेशकों ने वहां से पैसे निकाल लिए, जबकि चीन 163 बिलियन डॉलर की एफडीआई लाने में सफल रहा. साल 2019 में चीन के पास 140 बिलियन डॉलर की एफडीआई आई थी.

एफडीआई क्या है?

3/5
एफडीआई क्या है?

एफडीआई यानि फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट. हिंदी में इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं. एफडीआई किसी भी देश पर दुनिया के भरोसे को दिखाता है. और एफडीआई से उस देश में पैसे आने की वजह से रोजगार बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है. लेकिन साल 2020 में ब्रिटेन जैसे देश में 45 बिलियन डॉलर की जगह  -1.3 बिलियन डॉलर एफडीआई आई. इसका मतलब हुआ कि एफडीआई आई ही नहीं, जबकि निवेशक अपना पैसा जरूर निकाल ले गए.

अमेरिका का क्या हाल रहा?

4/5
अमेरिका का क्या हाल रहा?

अमेरिका में साल 2020 में सिर्फ 135 बिलियन डॉलर की एफडीआई आई. वहीं साल 2019 में अमेरिका में 251 बिलियन डॉलर की एफडीआई आई थी. यानि इस साल आधे से थोड़ी ज्यादा पर ही अमेरिका सिमट गया. अमेरिका की एफआईडी में 49 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 

पूरी दुनिया का क्या हाल रहा?

5/5
पूरी दुनिया का क्या हाल रहा?

यूनाइटेड नेशंस की संस्था अंकटाड की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक पूरी दुनिया के देशों में एफडीआई की दर बहुत कम रही और वैश्विक स्तर पर तो 42 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका की गिरावट 49 फीसदी रही. जर्मनी और रूस का भी बुरा हाल रहा. हालांकि भारत को इस दौरान 13 फीसदी ज्यादा एफडीआई मिली. ये चीन की 4 फीसदी की तुलना में कहीं अधिक है. भारत को डिजिटल मीडियम में विदेशी निवेशकों का साथ मिला.

मौत के बाद जिंदगी की तलाश: राज से पर्दा हटाने वाले को मिलेगा 7 करोड़ से ज्यादा का ईनाम

ट्रेन्डिंग फोटोज़