EPFO के मुताबिक पिछले साल लॉकडाउन के बाद देश में जो हालात बने, उसमें सबसे ज्यादा दिक्कत सैलरी क्लास लोगों को हुई. अप्रैल से दिसंबर के बीच 70 लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने अपने पीएफ खाते बंद कराए.
भविष्य निधि संगठन यानी कि EPFO के खाते में जो पैसा जमा कराया जाता है उसे लोग बेहद जरूरत के समय पर ही निकालते हैं. पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच पीएफ खातों से 73,498 करोड़ रुपये निकाले गए. ये आंकड़ा साल 2019 के हिसाब से करीब 18 हजार करोड़ रुपये ज्यादा था.
कोरोना काल में सरकार ने पीएफ खातों से रुपये निकालने पर बड़ी छूट दी थी. तब खाताधारकों को मूल वेतन और महंगाई भत्ते से नॉन-रिफंडेबल अमाउंट निकालने की सुविधा थी लेकिन यह राशि का 75 फीसदी या तीन महीने के महंगाई भत्ते (जो भी कम हो) के बराबर होना चाहिए था.
EPFO के आंकड़े साफ जाहिर करते हैं कि कर्मचारी वर्ग को पीएफ में निवेश करना काफी पसंद है. 2020-21 वित्तीय वर्ष के आंकड़े तो 31 मार्च के बाद सरकार बताएगी लेकिन 2019-20 में 1.68 लाख करोड़ रुपये, 2018-19 में 1.41 लाख करोड़ और साल 2017-18 में 1.26 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए थे.
ईपीएफओ ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए लिए पीएफ खातों पर 8.50 फीसदी ब्याज दर देने का ऐलान किया है. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. सरकार के इस ऐलान से कर्मचारी वर्ग को काफी राहत मिली है.
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