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IRCTC News: 25000 करोड़ खर्च कर तैयार होगा Indian Railways का 'कवच', नहीं होगी ट्रेन दुर्घटना!

भारतीय रेलवे (Indian Railways) को अब 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन की मंजूरी मिल गई है. आसान शब्दों में कहें तो अब ट्रेनें 4G पर दौड़ेंगी. इससे ना सिर्फ रेल यात्रा सुरक्षित होगी, बल्कि ट्रेन दुर्घटनाएं (Train Accident) भी रुक जाएंगी. आइए विस्तार से जानते हैं क्या है पूरी योजना...

भारतीय रेलवे को मिला नया प्रोजेक्ट

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भारतीय रेलवे को मिला नया प्रोजेक्ट

दरअसल, केंद्रीय मंत्रीमडल ने बुधवार को रेलवे के कम्युनिकेशन और सिग्नलिंग सिस्टम में सुधार के लिए 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दी. खुद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इससे रेलवे को यात्रियों की सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी. अब आप सोच रहे होंगे कि स्पेक्ट्रम से रेल यात्रा सुरक्षित कैसे हो जाएगी? इसे समझने के लिए आपको पहले रेलवे की तरफ से आए बयान को जानना होगा.

4G पर दौड़ेंगी भारतीय ट्रेनें

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4G पर दौड़ेंगी भारतीय ट्रेनें

भारतीय रेलवे ने अपने बयान में बताया है कि, 'अभी हम 2G स्पेक्ट्रम पर ही काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से सिग्नलिंग और कम्युनिकेशन में कई बार दिक्कत होती है. लेकिन अगर हम स्पेक्ट्रम को बढ़ा देते हैं तो ये समस्या दूर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम को मंजूरी दी है, जिससे रेलवे के 4जी और 5जी दोनों ही नेटवर्क डेवलप हो सकते हैं. हालांकि अभी हम 4G पर ही काम करेंगे.'

LTE कन्युनिकेशन से जुड़ेंगी ट्रेनें

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LTE कन्युनिकेशन से जुड़ेंगी ट्रेनें

रेलवे ने ये भी बताया कि, 'अभी हम अपने कम्युनिकेशन नेटवर्क के लिए ऑप्टिकल फाइबर पर निर्भर है, लेकिन नए स्पेक्ट्रम के आवंटित होने के बाद वह तेज रफ्तार वाले रेडियो का उपयोग कर सकेगा. इस स्पेक्ट्रम के साथ हम भारतीय रेलवे अपने मार्ग पर लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन प्रदान कर सकेगा.' LTE का उद्देश्य सिक्योर और विश्वसनीय आवाज, वीडियो और डेटा कम्युनिकेशन सर्विस सेवाएं प्रदान करना है. 

किस तरह काम करेगा LTE?

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किस तरह काम करेगा LTE?

LTE का उपयोग मॉडर्न सिग्नलिंग और ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों के लिए किया जाएगा ताकि लोको पायलटों और गार्डों के बीच बेहतर कम्युनिकेशन सुनिश्चित किया जा सके. यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) आधारित रिमोट एसेट मॉनिटरिंग विशेष रूप से कोच, वैगन और लोको की निगरानी और ट्रेन के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरों की लाइव वीडियो फीड को कुशल, सुरक्षित और तेज ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने में सक्षम करेगा. 

अब नहीं होगा ट्रेनों का एक्सीडेंट

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अब नहीं होगा ट्रेनों का एक्सीडेंट

'आत्मनिर्भर भारत' मिशन को बढ़ावा देते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि भारतीय रेलवे ने स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (Automatic Train Collision Avoidance System) को मंजूरी दी है. इसे TCAS नाम दिया गया है, जिसे ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत बनाया जा रहा है. TCAS को 4 भारतीय कंपनियां मेक इन इंडिया के तहत बना रही हैं. यानी इस आवंटन से रेलवे के संचार और सिग्नलिंग नेटवर्क दोनों बेहतर हो जाएंगे, जिससे दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर को रोकने वाली प्रणाली को बेहतर काम करने में मदद मिलेगी.

25 हजार करोड़ की लागत से 5 साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट

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25 हजार करोड़ की लागत से 5 साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट

एक सरकारी प्रवक्ता ने ट्वीट करते हुए कहा, 'कैबिनेट ने भारतीय रेल को स्टेशनों और ट्रेनों में सुरक्षा तथा सुरक्षा सेवाओं के लिए 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दी, इस पर अनुमानित निवेश 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है, यह परियोजना अगले 5 वर्षों में पूरी होगी.' 

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