कोरोना महामारी के चलते आर्थिक बदहाली से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं पर अब महंगाई की भी मार पड़ रही है. खासतौर से सब्जियों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
Trending Photos
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते आर्थिक बदहाली से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं पर अब महंगाई की भी मार पड़ रही है. खासतौर से सब्जियों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. सब्जियों में सबसे ज्यादा खपत होने वाला आलू के दाम बीते दो महीने में दोगुने हो गए हैं.
हरी सब्जियां 200 फीसदी बढ़ गई कीमत
आलू के साथ-साथ अन्य हरी सब्जियों की कीमतों में भी बीते दो महीनों में 50 से 200 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. टमाटर का भाव एक सप्ताह पहले थोड़ा नरम हुआ था, लेकिन फिर टमाटर के दाम में इजाफा हो गया है. सिर्फ प्याज के दाम में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई, बाकी तमाम सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.
आलू की कीमत दोगुनी
आलू का खुदरा दाम भी दोगुना हो गया है. दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में आलू का खुदरा भाव जून में जहां 20 से 25 रुपये प्रति किलो था, वहीं शुक्रवार को आलू 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा था. यही नहीं, थोक मंडी में जो आलू 44 रुपये प्रति किलो था, उसका खुदरा भाव 60 रुपये प्रति किलो से भी ऊपर बताया जा रहा है.
एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में गुरुवार को आलू का थोक भाव 12 रुपये से 44 रुपये प्रति किलो था जो दो महीने पहले 13 जून को आठ रुपये से 21 रुपये प्रति किलो था. इस तरह महज दो महीने में आलू का अधिकतम थोक भाव दोगुना से भी ज्यादा हो गया है और निचला भाव भी डेढ़ गुना बढ़ गया है.
कोरोना काल में होटल, रेस्तरां, कैंटीन और ढाबों में सब्जियों की खपत कम होने के बावजूद इनकी कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. कारोबारी बताते हैं कि बरसात में हरी सब्जियों का उत्पादन कम हो जाने की वजह से आवक कम हो रही है, जबकि आलू के साथ यह बात लागू नहीं होती, क्योंकि इसकी ज्यादातर आवक इस समय कोल्ड स्टोरेज से हो रही है.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि फसल वर्ष 2019-20 में आलू का उत्पादन बीते वर्ष से ज्यादा हुआ है. देश में आलू का उत्पादन ज्यादातर रबी सीजन में होता है, लेकिन कुछ इलाकों में खरीफ जायद सीजन में आलू की पैदावार होती है. इसलिए कोल्ड स्टोरेज के अलावा ताजा आलू की आवक बाजार में सालभर बनी रहती है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू का उत्पादन 513 लाख टन हुआ, जबकि एक साल पहले वर्ष 2018-19 में देश में 501.90 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था.
पहाड़ी आलू की कीमत भी ज्यादा
आजादपुर मंडी कृषि उपज विपणन समिति के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र शर्मा ने बताया कि हल्द्वानी का ताजा आलू जो अभी मंडियों में आ रहा है, वह ऊंचे भाव पर बिक रहा है. इस समय पहाड़ी आलू का सीजन है, इसलिए यह ऊंचे भाव पर बिक रहा है, जबकि कोल्ड स्टोरेज से भी आलू की आवक कम हो रही है. कोल्ड स्टोरेज के आलू का थोक भाव इस समय 20 से 28 रुपये प्रति किलो है.
शर्मा ने बताया कि होटल, रेस्तरां और कैंटीन यानी होरेका सेक्टर की खपत समाप्त होने के साथ-साथ साप्ताहिक बाजार बंद रहने के कारण भी सब्जियों की खपत पर असर पड़ा है. आजादपुर मंडी में आलू की आवक बीते चार महीनों में पिछले साल के मुकाबले कम रही है.
मंडी में आलू की मासिक आवक के आंकड़ों पर गौर करें तो इस अप्रैल में आलू की आवक पिछले साल से 50 फीसदी कम रही. वहीं, मई में आजादपुर मंडी में आलू की आवक पिछले साल से 47.29 फीसदी कम, जबकि जून में 38.50 फीसदी और जुलाई में 41.04 फीसदी कम रही है.
बिगड़ गया रसोई का बजट
आलू के साथ-साथ अन्य हरी सब्जियों की कीमतों में भी बीते दो महीनों में 50 से 200 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. ग्रेटर नोएडा निवासी गृहिणी प्रीति सिंह ने बताया कि टमाटर का भाव एक सप्ताह पहले थोड़ा नरम हुआ था, लेकिन फिर टमाटर के दाम में इजाफा हो गया है. सिर्फ प्याज के दाम में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई, बाकी तमाम सब्जियों के दाम आसमान छू गए हैं, जिससे रसोई का बजट बिगड़ गया है.
यह भी पढ़ेंः 15 अगस्त के दिन सोने की कीमतों में आया उछाल, 1947 में इतनी थी कीमत
ये भी देखें---