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ज़ी मीडिया ब्यूरो
मुंबई : रिजर्व बैंक ने गुरुवार को बैंकों को निर्देश दिया कि वे किसी ग्राहक के खाते में बैलेंस न्यूनतम से नीचे आने पर उसे अग्रिम में सूचित किया जाए। इसके बावजूद यदि उचित समय में खाते में न्यूनतम बैलेंस नहीं आता है तो फिर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
खाते में न्यूनतम बैलेंस से कम की जमा रहने पर बैंक को ग्राहक को एसएमएस, ईमेल या पत्र के जरिये सूचित किया जाए और उन्हें बैलेंस को उचित स्तर पर लाने के लिए एक माह का समय देना चाहिए, जिससे उनपर जुर्माना न लगे।
केंद्रीय बैंक ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे इस तरह के खातों में न्यूनतम बैलेंस में आई कमी के अनुरूप ही जुर्माना लगाएं। न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने पर मौद्रिक जुर्माना लगाने संबंधी दिशानिर्देश एक अप्रैल, 2015 को अस्तित्व में आ जाएंगे। रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए अधिसूचना में कहा है, 'यह फैसला किया गया है कि बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने की स्थिति बैंक इन अतिरिक्त दिशानिर्देशों का पालन करें।'
विस्तृत दिशानिर्देशों के अनुसार जुर्माना उसी अनुपात में लगाया जा सकता है, खाते में न्यूनतम बैलेंस में जितनी कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुर्माना खाते में मौजूद राशि व न्यूनतम बैलेंस के बीच अंतर के प्रतिशत के आधार पर लगाया जाना चाहिए। इसके लिए एक उचित स्लैब ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।