नोटबंदी के बाद जमा 3-4 लाख करोड़ की रकम में टैक्स चोरी का संदेह, IT कर रहा जांच
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नोटबंदी के बाद जमा 3-4 लाख करोड़ की रकम में टैक्स चोरी का संदेह, IT कर रहा जांच

नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा की गई राशि की जांच पड़ताल में सरकार को करीब तीन से चार लाख करोड़ रुपये की आय में कर चोरी का पता चला है। यह राशि नोटबंदी के बाद 500, 1,000 रुपये के पुराने नोट जमा कराने की 50 दिन की अवधि में जमा कराई गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयकर विभाग को इनकी जांच पड़ताल करने को कहा गया है जिसके बाद 3-4 लाख करोड़ रुपये की संदिग्ध कर- अपवंचना वाली राशि जमा कराने वालों को नोटिस भेजे जायेंगे।

नोटबंदी के बाद जमा 3-4 लाख करोड़ की रकम में टैक्स चोरी का संदेह, IT कर रहा जांच

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा की गई राशि की जांच पड़ताल में सरकार को करीब तीन से चार लाख करोड़ रुपये की आय में कर चोरी का पता चला है। यह राशि नोटबंदी के बाद 500, 1,000 रुपये के पुराने नोट जमा कराने की 50 दिन की अवधि में जमा कराई गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयकर विभाग को इनकी जांच पड़ताल करने को कहा गया है जिसके बाद 3-4 लाख करोड़ रुपये की संदिग्ध कर- अपवंचना वाली राशि जमा कराने वालों को नोटिस भेजे जायेंगे।

अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास अब काफी आंकड़े उपलब्ध हैं। इनके विश्लेषण से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद 60 लाख से अधिक बैंक खातों में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा कराई गई। इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये की राशि बैंक खातों में जमा कराई गई।’उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न बैंक खातों में 10,700 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा कराई गई। आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय सहकारी बैंकों में विभिन्न खातों में जमा कराई गई 16,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की भी जांच परख कर रहे हैं।

अधिकारी ने बताया कि नोटबंदी के बाद 25,000 करोड़ रुपये निष्क्रिय पड़े बैंक खातों में जमा कराये गये जबकि आठ नवंबर 2016 के बाद 80,000 करोड़ रुपये के कर्ज का नकद राशि में भुगतान किया गया। उल्लेखनीय है कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन से वापस ले लिये थे। सरकार ने इन अमान्य नोटों को बैंक खातों में जमा कराने या फिर नई मुद्रा से बदलवाने के लिये 30 दिसंबर तक का समय दिया था। 

अधिकारी ने कहा कि 60 लाख बैंक खातों में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जमा कराई गई। इनमें से 6.80 लाख खातों का सरकार के साथ उपलब्ध डाटाबेस के साथ मिलान कर लिया गया है। ‘ये जानकारी आयकर विभाग को भी उपलब्ध कराई गई है।’उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न खातों में जमा कराई गई 10,700 करोड़ रुपये से अधिक नकद राशि के बारे में भी ब्यौरा उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा सहकारी बैंकों के विभिन्न खातों में जमा कराई गई 16,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि के बारे में भी आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय को पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराया गया है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा राशि के बारे में भी जानकारी दी गई है। इसके अलावा, ‘आतंकवाद प्रभावित राज्यों में जमा नकदी के बारे में भी संबंधित विधि प्रवर्तन एजेंसियों को जानकारी प्रसारित की गई है। ऐसे मामलों में उचित कारवाई की गई है।’ अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक खाते में दो से ढाई लाख करोड़ रुपये की नकद जमा कराने वाले ऐसे खातों का पता चला है जिनमें पैन, मोबाइल और घर का पता सब एक जैसा है। इस तरह करीब 42,000 करोड़ रुपये की राशि है। आयकर विभाग इन खातों की भी विस्तार से जांच पड़ताल करेगा।

प्रधानमंत्री जनधन खातों में भी जमा राशि का विश्लेषण कर लिया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में इस प्रकार जमा कराई गई राशि का ब्यौरा तैयार कर इसे आयकर विभाग के साथ साझा किया गया है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे बैंक खातों में प्राप्त खुफिया रिपोर्टों को ध्यान में रखते हुये एक लाख रुपये से अधिक नकद जमा पर भी गौर किया जायेगा।’
 
अधिकारी ने कहा कि सरकार के संज्ञान में यह भी आया है कि निष्क्रिय पड़े बैंक खातों को फिर से सक्रिय कर उनमें 25,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा की गई है। इसका ब्यौरा भी आयकर विभाग के साथ साझा किया गया है। इसी प्रकार नोटबंदी के बाद 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज नकद राशि में लौटाये जाने की जानकारी को भी प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा की गई है।

आयकर विभाग प्राप्त खुफिया रिपोर्टों से उपलब्ध आंकड़ों का व्यापक स्तर पर मिलान कर रहा है ताकि आने वाले दिनों में अधिक प्रभावी तरीके से कारवाई की जा सके। उन्होंने कहा, ‘यह उन मामलों में भी कारवाई कर रहा है जहां 50,000 रुपये से अधिक की राशि बिना पैन नंबर के जमा कराई गई है।’ अधिकारी ने कहा, ‘आयकर विभाग इन लोगों की पहचान करने के लिये हर तरह के उपाय कर रहा है और उसे पूरा भरोसा है कि प्रत्यक्ष कर प्राप्ति में काफी विस्तार होगा और प्रत्यक्ष कर वसूली में उछाल आयेगा।’

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