इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में बढ़ेगी छोटे निवेशकों की भूमिका
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इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में बढ़ेगी छोटे निवेशकों की भूमिका

लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में छोटे निवेशकों की भूमिका बढ़ाई जाएगी. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय इसके लिए कंपनी कानून में बदलाव पर विचार कर रहा है.

इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में बढ़ेगी छोटे निवेशकों की भूमिका

नई दिल्ली : लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में छोटे निवेशकों की भूमिका बढ़ाई जाएगी. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय इसके लिए कंपनी कानून में बदलाव पर विचार कर रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति में दोहरा वोटिंग सिस्टम लाना चाहती है. जिसके तहत एक बार इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति पर प्रोमोटर्स और बड़े वोटर्स की वोटिंग के बाद माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स से भी वोटिंग कराई जाएगी.

अगर मैनेजमेंट माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के विरोध को नजरअंदाज करता है तो इससे कंपनी की छवि पर बुरा असर पड़ेगा. पहले इसे लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड में लागू करने की योजना है. बाद में इसे अनलिस्टेड कंपनियों के बोर्ड के लिए भी लागू किया जाएगा. हालांकि कंपनी कानून में बदलाव से पहले सरकार इस पर पर्याप्त चर्चा कर सभी पक्षों की राय लेगी. इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति का दोहरा वोटिंग सिस्टम ब्रिटेन में लागू है.

इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के मौजूदा सेलेक्शन सिस्टम पर अक्सर आरोप लगते हैं कि ये प्रोमोटर्स का ही हित देखते हैं. कंपनियों में गड़बड़ियों के बावजूद भी आवाज़ नहीं उठाते. जबकि कंपनी कानून के तहत इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की नियुक्ति आम शेयरधारकों के प्रतिनिधि के तौर पर की जाती है. किंगफिशर से लेकर IL&FS तक कंपनियों के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं.

यह है मौजूदा सिस्टम
- नॉमिनेशन, रेम्यूनेरेशन कमेटी डायरेक्टर को चुनती है
- फिर नियुक्ति को कंपनी के बोर्ड से मंजूर कराया जाता है
- AGM में महज 50% वोटिंग के ज़रिए लग जाती है मुहर
- नॉमिनेशन, रेम्यूनेरेशन कमेटी में 50% इंडिपेंडेंट डायरेक्टर
- प्रोमोटर जिसका नाम सुझाते हैं, वही चुन लिया जाता है

इसलिए है इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की अहमियत
- कंपनियों में होनी वाली गड़बड़ियों को उज़ागर करना
- आम शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना दायित्व है
- मैनेजमेंट को स्वतंत्र और सही राय देने की ज़िम्मेदारी
- किंगफिशर से लेकर IL&FS तक में रोल पर उठे सवाल

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