Success Story: जन्म हुआ तो लोगों ने कहा- फेंक दो, अब 29 साल की उम्र में खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस
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Success Story: जन्म हुआ तो लोगों ने कहा- फेंक दो, अब 29 साल की उम्र में खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस

आंध्र प्रदेश के श्रीकांत बोला ने अपनी मेहनत के बलबूते पर न सिर्फ अपना बिजनेस खड़ा किया बल्कि उसे काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया. आज उनकी कहानी से कई लोग मोटिवेट होते हैं.

फोटो साभार- ट्विटर

नई दिल्ली. कहते हैं कि किसी मंजिल को पाने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है. इस बात को सही साबित किया है आंध्र प्रदेश के श्रीकांत बोला ने. श्रीकांत ने अपनी मेहनत के बलबूते पर न सिर्फ अपना बिजनेस खड़ा किया बल्कि उसे काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया. आज उनकी कहानी से कई लोग मोटिवेट होते हैं. श्रीकांत बोला की कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन ये एकदम सच है. श्रीकांत ने जीवन में काफी चुनौतियों का सामना किया. बता दें, श्रीकांत जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं इसके बाद भी महज 29 साल की उम्र में उन्होंने करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया. आइए आपको भी श्रीकांत बोला की सक्सेस स्टोरी बताते हैं. 

  1. किसान परिवार में हुआ था जन्म
  2. जन्म से हैं दृष्टिबाधित
  3. खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस

जन्म से हैं दृष्टिबाधित 

श्रीकांत का जन्म 1992 में आंध्र प्रदेश के एक किसान परिवार में हुआ. वो जन्म से ही दृष्टिबाधित थे. उनके माता-पिता को लोगों ने राय दी कि वे उन्हें किसी अनाथालय में छोड़ आएं. लेकिन उनके माता पिता ने हमेशा उनका साथ दिया. उनके टीचर्स और साथियों ने काफी नजरअंदाज किया. स्कूल में उन्हें सबसे पीछे बैठाया जाता था. लेकिन श्रीकांत में भी हमेशा से कुछ अलग करने की चाह थी. इसी चाह ने उन्हें जन्म से दृष्टिबाधित होने के बावजूद आज करोडों रुपये के बिजनेस का मालिक बना दिया.

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IIT में पढ़ना था सपना 

श्रीकांत साइंस पढ़ना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. जैसे-तैसे करके उन्होंने साइंस में पढ़ाई की. वो पढ़ने में काफी तेज थे. 12वीं के बोर्ड में उनके 98 प्रतिशत नंबर आए. उनके रिजल्ट को देखकर सब हैरान रह गए. इसके बाद उन्होंने IIT की तैयारी शुरू की. इस दौरान कोचिंग सेंटर ने उनका एडमिशन लेने से मना कर दिया. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. सही मार्गदर्शन न मिलने की वजह से वो IIT तो नहीं जा पाए लेकिन आज IIT के स्टूडेंट्स उनको अपना आइडियल मानते हैं.

अमेरिका से की पढ़ाई

IIT  में एडमिशन नहीं मिलने पर श्रीकांत ने अमेरिका के टॉप टेक्नोलॉजी स्कूल MIT के लिए अप्लाई किया और वे नेत्रहीन सिलेक्ट होने वाले पहले अंतर्राष्ट्रीय स्टूडेंट बन गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे चाहते तो वहीं रहकर आराम का जीवन जीते. लेकिन उन्होंने वापस भारत आने का फैसला किया और यहां आकर अपनी कंपनी की शुरुपयेआत की. उन्होंने 9 साल पहले बोलेंट इंडस्ट्रीज (Bollant Industries) की शुरुपयेआत की.

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150 करोड़ रुपयेपये का है टर्नओवर

उनकी प्रतिभा को देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा (Ratan Tata) ने पहचाना और उनकी कंपनी में निवेश किया. बोलेंट इंडस्ट्रीज, जो पैकेजिंग सॉल्यूशन तैयार करती है, मजबूती से आगे बढ़ती गई. कंपनी ने 2018 तक 150 करोड़ रुपयेपये के कारोबार हासिल किया. श्रीकांत की कंपनी के 5 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं और कंपनी ने 650 से अधिक लोगों को रोजगार दिया हुआ है. इनमें लगभग आधे लोग डिफ्रेंटली एबल्ड कैटेगरी से आते हैं.

कई अवॉर्ड से हो चुके हैं सम्मानित

श्रीकांत को साल 2017 में, फोर्ब्स 30 अंडर 30 एशिया लिस्ट में जगह मिली. एशिया से चयनित होने वाले 3 भारतीयों में से वे एक थे. उन्हें सीआईआई इमर्जिंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2016, ईसीएलआईएफ मलेशिया इमर्जिंग लीडरशिप अवॉर्ड जैसे कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. 

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बनना चाहते हैं राष्ट्रपति

2006 में एक भाषण के दौरान श्रीकांत उन छात्रों में से थे जिसे भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने संबोधित किया था. मिसाइल मैन ने उनसे पूछा, 'आप जीवन में क्या बनना चाहते हैं?' इस सवाल पर श्रीकांत ने जवाब दिया था, 'मैं भारत का पहला नेत्रहीन राष्ट्रपति बनना चाहता हूं.'

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