Income Tax: इन निवेशकों का अब कटेगा TDS, इतने ट्रांजेक्शन पर देना होगा टैक्स, सरकार ने बताई अहम बातें
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Income Tax: इन निवेशकों का अब कटेगा TDS, इतने ट्रांजेक्शन पर देना होगा टैक्स, सरकार ने बताई अहम बातें

Cryptocurrency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट 2022 में इसका ऐलान किया गया था. इसे फाइनेंस एक्ट 2022 के सेक्शन 194एस के तहत लाया गया था

पैसा

Bitcoin Price: आज के वक्त में लोग क्रिप्टोकरेंसी में भी जमकर निवेश कर रहे हैं. इस निवेश से लोगों की अपनी कमाई झटके में बढ़ने की उम्मीदें भी होती है. हालांकि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना काफी जोखिम से भरा भी रहता है. भारत में भी कई ऐसे निवेशक हैं जो क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड करते हैं. वहीं अब क्रिप्टोकरेंसी खरीदने वालों का जल्द ही टीडीएस भी कटने वाला है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. जुलाई 2022 से ये नियम लागू हो जाएंगे. नए नियम के तहत 10 हजार रुपये से ज्यादा की वर्चुअल डिजिटल एसेट्स और क्रिप्टोकरेंसी की खरीद पर एक फीसदी टीडीएस कटेगा. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट 2022 में इसका ऐलान किया गया था. इसे फाइनेंस एक्ट 2022 के सेक्शन 194एस के तहत लाया गया था.

ITR में देनी होगी जानकारी
नए नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन के बारे में भी बताना होगा और एक पेपर ट्रेल भी बनाना होगा. ऐसा करना क्रिप्टोकरेंसी खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों के लिए प्रक्रिया को आसान करेगा.

एक्सचेंज पर TDS काटने की जिम्मेदारी
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक टैक्स और कंसल्टिंग फर्म एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने बताया कि व्यावहारिक परिदृश्यों को CBDT ने अच्छे तरीके से कवर किया है. टीडीएस काटने की जिम्मेदारी एक्सचेंज को दी गई है. इससे रेगुलेटरी और उसके अनुपालन का बोझ उन पर बढ़ जाएगा.

खरीदार-ब्रोकर से कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है एक्सचेंज
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का ट्रांसफर अगर एक्सचेंज के माध्यम से होता है तो इस मामले में अधिनियम की धारा 194एस के तहत टैक्स काटने की प्राथमिक जिम्मेदारी खरीदार की या फिर उसके ब्रोकर की होगी. ऐसे में एक ऑप्शन के तौर पर एक्सचेंज की और से खरीदार या उसके ब्रोकर के साथ एक लिखित समझौता भी हो सकता है. 

इस समझौते में ये बात होगी कि ऐसे सभी लेनदेन के लिए एक्सचेंज तिमाही के लिए एक निर्धारित तारीख को या उससे पहले टैक्स का भुगतान करेगा. बता दें कि आयकर नियमों में निर्धारित तारीख को या उससे पहले तिमाही के ऐसे सभी लेनदेन के लिए एक्सचेंज को एक तिमाही विवरण (फॉर्म संख्या 26QF) भी दाखिल करना होगा.

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