पटरी पर दौड़ता 'हवाई जहाज', रफ्तार इतनी कि 1 घंटे से भी कम वक्त में पहुंचा देगी दिल्ली से लखनऊ
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पटरी पर दौड़ता 'हवाई जहाज', रफ्तार इतनी कि 1 घंटे से भी कम वक्त में पहुंचा देगी दिल्ली से लखनऊ

  भारत में इन दिनों वंदे भारत ट्रेनों का क्रेज चरम पर है। देश के शहरों को वंदे भारत ट्रेनों से जोड़ा जा रहा है। सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की रफ्तार 180 किमी प्रति घंटे की है, लेकिन उस रफ्तार से दौड़ती नहीं है। वंदे भारत एक्सप्रेस के बाद भारत को बुलेट ट्रेन का इंतजार है। 320 किम

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नई दिल्ली:  भारत में इन दिनों वंदे भारत ट्रेनों का क्रेज चरम पर है। देश के शहरों को वंदे भारत ट्रेनों से जोड़ा जा रहा है। सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की रफ्तार 180 किमी प्रति घंटे की है, लेकिन उस रफ्तार से दौड़ती नहीं है। वंदे भारत एक्सप्रेस के बाद भारत को बुलेट ट्रेन का इंतजार है। 320 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से यह ट्रेन दौड़ेगी, जो मुंबई-अहमदाबाद के बीच की पूरी दूरी को केवल 127 मिनट में तय करेगी। अगर आप इसी रफ्तार से खुश है तो जरा दुनिया की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन के बारे में एक बार जान लीजिए। 200...300  या 500 किमी प्रति घंटा नहीं बल्कि यह ट्रेन 603 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ती है।  

दुनिया की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन 

दुनिया की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन की स्पीड इतनी है कि जब वो पटरी पर दौड़ती है तो उसकी तस्वीर खींच पाना भी मुश्किल होता है। उसके डिब्बे गिन पाना भी मुश्किल होता है।  दुनिया की औसत बुलेट ट्रेनों की स्पीड जहां 300 के करीब है, वहीं इस बुलेट ट्रेन की स्पीड 603 किमी प्रति घंटे तक की है । चीन में दौड़ने वाली दुनिया की सबसे हाईस्पीड बुलेट ट्रेन का नाम मैग्लेव है।  

क्या है खास 

इस ट्रेन की नॉर्मल स्पीड 300 किमी प्रति घंटे की है, जबकि टॉप स्पीड 603 किमी प्रति घंटे की है। मैग्लेव की तकनीक मूल रूप से जर्मनी की है, जिसे चीन ने अपने यहां अडॉप्ट कर लिया है। चीन के ट्रेन मेकर सीआरआरसी कंपनी ने इस बुलेट ट्रेन के टॉप स्पीड का सक्सेसफुल ट्रायल किया था। चीन की नई मैग्लेव से पहले दुनिया की सबसे हाईस्पीड ट्रेन का खिताब फ्रांस की यूरोडुप्लेक्स टीजीवी के पास है।  इस ट्रेन की अधिकतम गति 574.8 किलोमीटर प्रति घंटा है.

स्पीड के पीछे का राज  
मैग्लेव ट्रेन की तकनीक बाकी बुलेट ट्रेन से अलग है । इस ट्रेन को मैग्नेटिक लेविटेशन प्रणाली के द्वारा संचालित किया जाता है। जिसमें ट्रेन और पटरियों के बीच में एक तरह का स्ट्रांग मैग्नेटिक फोर्स रहता है, जो रफ्तार पकड़ने में मदद करता है।    

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