Ashwini Vaishnaw News: वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने खास प्लान बनाया है. सरकार का मानना है कि कंपनी को पूंजी के साथ ही इक्विटी की भी जरूरत है, जिसको पूरा करने के लिए चर्चा हो रही है.
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Vodafone Idea: लंबे समय से कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने खास प्लान बनाया है. सरकार का मानना है कि कंपनी को पूंजी के साथ ही इक्विटी की भी जरूरत है, जिसको पूरा करने के लिए चर्चा हो रही है फिलहाल सरकार के इस कंपनी में इक्विटी खरीदनें में अभी लंबा समय लग सकता है. Vodafone Idea (Vi) इस समय 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है.
केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी
अश्विनी वैष्णव ने आज जानकारी देते हुए कहा है कि "वोडाफोन आइडिया की कई तरह की जरूरतें हैं, लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा पूंजी की जरूरत है... फिलहाल कंपनी की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कितनी पूंजी और उसको कौन डालेगा? इस सभी मुद्दों पर चर्चा चल रही है और जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा.
तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी पर मंडरा रहा आर्थिक संकट
वैष्णव ने आगे कहा है कि कंपनी को इस आर्थिक संकट की स्थिति में सबसे ज्यादा कैपिटल की जरूरत है, जिसको हम कई अलग-अलग जगहों से जुटा सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी पिछले एक साल से आर्थिक संकट से जूझ रही है यह एक चिंता का विषय है.
प्रवर्तकों की घटी हिस्सेदारी
बता दें कंपनी ने सरकार को देय लगभग 16,130 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारियों को इक्विटी में बदलने का विकल्प चुना है. यह कंपनी में करीब 33 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर होगा. इसके अलावा कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 74.99 फीसदी से घटकर 50 फीसदी पर आ गई है.
इस समय इक्विटी में बदलना मुश्किल
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया के प्रमोटर्स- वोडाफोन पीएलसी और आदित्य बिड़ला ग्रुप इस समय की स्थिति को देखते हुए टेलीकॉम कंपनी में पर्याप्त पूंजी डालने के लिए तैयार नहीं है. इसी वजह से एजीआर पर बने ब्याज को इक्विटी में बदलना कंपनी के लिए एक मुश्किल काम है.
क्या है मांग?
वैष्णव ने आगे कहा कि टेलिकॉम सर्विसेज की सुविधा देने वाले प्लेटफॉर्म पर समान सेवाएं और समान नियमों की मांग की जा रही है.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ओटीटी प्लेटफॉर्म के साथ समानता की मांग करने पर भी काम कर रहे हैं.
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