vivad se vishwas scheme: 31 दिसंबर, 2024 से पहले घोषणा दाखिल करने वाले टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स डिमांड का 100 प्रतिशत भुगतान करना पड़ता. ऐसे मामलों में ब्याज और जुर्माना माफ करने का प्रावधान किया गया है.
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Income Tax Relief: अगर आपके ऊपर भी आयकर विभाग का पिछले वित्तीय वर्ष का किसी तरह का बकाया है या फिर आप पर किसी प्रकार का जुर्माना लगा हुआ है तो यह खबर आपके काम की है. जी हां, आयकर विभाग (Income Tax Department) ने विवाद से विश्वास योजना के तहत टैक्स का बकाया तय करने और ब्याज व जुर्माने की छूट के लिए जानकारी दाखिल करने की तारीख 31 जनवरी तक बढ़ा दी.
डेडलाइन 31 दिसंबर से बढ़ाकर की 31 जनवरी
प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना, 2024 के मूल नियमों के अनुसार, 31 दिसंबर, 2024 से पहले घोषणा दाखिल करने वाले टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स डिमांड का 100 प्रतिशत भुगतान करना पड़ता. ऐसे मामलों में ब्याज और जुर्माना माफ करने का प्रावधान किया गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की तरफ से एक सकुर्लर में कहा गया कि विवाद से विश्वास योजना के तहत देय राशि तय करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2024 से बढ़ाकर 31 जनवरी, 2025 कर दी गयी है.
110 प्रतिशत टैक्सपेयर्स को भुगतान करना होगा
सर्कुलर के अनुसार, 1 फरवरी, 2025 या उसके बाद की जाने वाली घोषणाओं पर डिस्प्यूटिड टैक्स डिमांड का 110 प्रतिशत टैक्सपेयर्स को भुगतान करना होगा. इस योजना का फायदा ऐसे टैक्सपेयर्स उठा सकते हैं जिनके मामले में विवाद है या फिर अपील दायर की गयी हैं. इसमें रिट और विशेष अनुमति याचिकाएं (अपीलें) शामिल हैं. चाहे वे टैक्सपेयर या टैक्सअधिकारियों की तरफ से दायर की गई हों. इसमें ऐसे मामले शामिल हैं, जो 22 जुलाई, 2024 तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, आयुक्त / संयुक्त आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित हैं.
आपको बता दें करीब 35 लाख करोड़ रुपये की लगभग 2.7 करोड़ प्रत्यक्ष कर मांगों पर विभिन्न कानूनी प्लेटफॉर्म पर विवाद चल रहा है. विवाद से विश्वास योजना, 2024 की घोषणा 23 जुलाई को पेश वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में की गई थी. योजना 1 अक्टूबर, 2024 से अमल में आयी.
क्या है विवाद से विश्वास योजना?
विवाद से विश्वास योजना भारत सरकार की तरफ से शुरू की गई एक स्पेशल स्कीम है, जिसका मकसद आयकर से जुड़े पुराने विवादों को निपटाना और टैक्सपेयर्स को राहत देना है. इस योजना के तहत टैक्सपेयर अपने विवादित टैक्स मामलों को बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के निपटा सकते हैं. इसमें आयकर विभाग और टैक्सपेयर के बीच लंबित विवाद को तेजी से और आसानी से निपटाया जाता है. साथ ही टैक्सपेयर को लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होती.