United Healthcare CEO Murder: एक हत्या पर जश्न और कथित हत्यारे को हीरो बनाने की ये स्थिति भयानक और डरावनी है. लेकिन सवाल ये उछता है कि आखिरी ये स्थिति बनी क्यों है ? लोग एक हत्यारे के समर्थन में क्यों हैं ?
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United Healthcare CEO Murder: तारीख 4 दिसंबर, जगह अमेरिका का न्यूयार्क शहर. कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आए यूनाइडटेड हेल्थकेयर के सीईओ ब्रायन थॉमप्सन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्या के बाद वहां लोगों में आक्रोश या दुख नहीं था, बल्कि लोग जश्न मना रहे हैं. पुलिस की गिरफ्त में कैद 26 साल के आरोपी लुइगी मैंगियोन (Luigi Mangione) को 'हीरो' बताया जा रहा है. उनका केस लड़के लिए फंड इकट्ढा किया जा रहा है. हत्या के आरोपी की तारीफ की जा रही है. उसे छुड़ाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन चलाए जा रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग उसके समर्थन में लिख रहे हैं. अब तक लाखों रुपये इकट्ठा किए जा चुके हैं. किसी की हत्या पर इस तरह की स्थिति भयानक और डरावनी है. वहीं गलियों में मृतक के पोस्टर लगाकर वांटेंड लिखा जा रहा है. ये स्थिति डराने वाली है.
हत्या पर जश्न, डरावनी स्थिति
एक हत्या पर जश्न और कथित हत्यारे को हीरो बनाने की ये स्थिति भयानक और डरावनी है. लेकिन सवाल ये उछता है कि आखिरी ये स्थिति बनी क्यों है ? लोग एक हत्यारे के समर्थन में क्यों हैं ? ये स्थिति दर्शाती है कि समाज इंश्योरेंस कंपनियों के रवैये, उसकी मौजूदा कार्यप्रणाली से त्रस्त हो चुकी है. इंश्योरेंस कंपनियों को लोगों की सेहत से ज्यादा अपनी मुनाफे की चिंता है. लोगों में इंश्योरेंस कंपनियों के प्रति गुस्सा है. क्लेम रिजेक्शन की बढ़ती संख्या लोगों के आक्रोश को बढ़ा रही है.
इंश्योरेंस कंपनियों के लिए सबक
अमेरिका में इंश्योरेंस कंपनी के सीईओ की हत्या दिखाती है कि लोगों में बीमा कंपनियों के प्रति कितना गुस्सा है. 26 साल के लड़के ने हत्या क्यों की, इसकी वजह से सामने नहीं आई है, लेकिन इस हत्या के बाद लोगों ने जो रिएक्शन दिया है, वो इंश्योरेंस कंपनियों के लिए सबक से कम नहीं है. पुलिस को घटनास्थल पर जो गोलियां मिली, उसपर डिले, डिनाय और पॉसिबली डीपोज लिखा हुआ था. जो बीमा कंपनियों के काम को दिखाता है. इंश्योरेंस कंपनियों के लिए 3 D प्रचलित है. इंश्योरेंस कंपनियां डिले, डिनाय, डिफेंड यानी देर करें, मना करें और फिर अपने फैसले का सही साबित करने के लिए तर्क दे. इंश्योरेंस क्लेम सेटल में देरी, क्लेम रिजेक्शन और फिर क्लेम रिजेक्ट करने के अपने फैसलों का बचाव करना बीमा कंपनियों की आदत बन चुकी है. ये हत्या उस आक्रोश को दिखाता है.
बीमा कंपनियों के इन रवैयों के परेशान हो चुके लोग इस हत्या को अपनी जीत की तरह सेलिब्रेट कर रहे हैं. इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट के नाम पर लोगों के सामने फर्जी तस्वीर पेश कर सिर्फ अपना मुनाफा देखती है. जरा आंकड़ों पर गौर करते हैं. यूनाइटेड हेल्थ केयर अमेरिका में करीब 5 करोड़ लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर देती है, कंपनी का सालाना टर्नओवर 281 अरब डॉलर का है, लेकिन बीते कुछ सालों से उस कंपनी के क्लेम रिजकेशन में दोगुनी रफ्तार से बढ़ोतरी हुई है. अमेरिकी सीनेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में कंपनी का क्लेम रिजेक्शन 10% था, जो साल 2022 में बढ़कर 20% हो गया. कमोवेश ऐसा ही हाल भारतीय बीमा कंपनियों का भी है.
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को सोचने की जरूरत
ये घटना सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं बल्कि भारत की बीमा कंपनियों के लिए भी सबक है. उन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए सबक है, जो लोगों की सेहत के बजाए क्लेम रिजेक्ट या डिले कर अपने मुनाफे के बारे में पहले सोचती है. भारत में हेल्थ इंश्योरेंस का कारोबार देती से बढ़ रही है. देश के 55 करोड़ लोगों हेल्थ कवर के दायरे में है, लेकिन क्लेम सेटलमेंट की जटिल प्रक्रिया और रिजेक्शन रेट की वजह से लोगों में नाराजगी है. ये नाराजगी कब बड़ा रूप ले ले पता नहीं. ऐसे में इस बीमा कंपनियों को सोचने की जरूरत है और प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने की जरूरत है.