नहीं दिया अपनी संपत्ति का ब्यौरा तो सरकार ने रोक दी सैलरी, UP के ढाई लाख सरकारी कर्मचारियों का वेतन रूका
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नहीं दिया अपनी संपत्ति का ब्यौरा तो सरकार ने रोक दी सैलरी, UP के ढाई लाख सरकारी कर्मचारियों का वेतन रूका

Uttar Pradesh Govt Employees Salary:  योगी सरकार ने प्रदेश के करीब 2,44,565 सरकारी कर्मचारियों के अगस्त महीने की सैलरी रोक दी. सरकार की सख्त हिदायत के बाद इन कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है.

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Uttar Pradesh Govt Employees Salary: उत्तर प्रदेश सरकार के करीब ढाई लाख कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है. योगी सरकार ने प्रदेश के करीब 2,44,565 सरकारी कर्मचारियों के अगस्त महीने की सैलरी रोक दी. सरकार की सख्त हिदायत के बाद इन कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है. सैलरी रोके जाने की वजह सरकारी आदेश का पालन नहीं करना है. दरअसल सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को मानव सम्पदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने का आदेश दिया था.  

क्यों रोकी गई यूपी सरकार के 2.45 लाख कर्मचारियों की सैलरी  

उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त 2024 तक अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा नही देने पर सख्त कार्रवाई करते हुए 2 लाख 45 हजार राज्य कर्मचारियों की अगस्त की सैलरी रोक दी है.  वहीं IAS और PCS को सेलरी जारी की गयीं है, क्योंकि उनकी सम्पत्ति स्पैरो पोर्टल पर दर्ज थी.  विभागों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक उन कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई है. जिन्होंने 31 अगस्त तक अनिवार्य तौर पर मानव सम्पदा पोर्टल पर अपनी चल और अचल संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दर्ज करवाया.  सरकार की डेडलाइन के बाद भी जिन कर्मचारियों ने प्रॉपर्टी डिटेल नहीं दी, सरकारी आदेश के चलते उनकी अगस्त महीने की सैलरी रोक दी गई है.  

सरकार ने मांगा संपत्ति का ब्यौरा  

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने 31 अगस्त तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर कर्मचारियों की चल अचल संपत्ति का पूरा देने का निर्देश दिया था. प्रदेश में कुल 8 लाख 46 हज़ार 640 कर्मचारी है जिसमे से सिर्फ 6 लाख 2 हजार 75 कर्मचारियों ने अपनी चल अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया है.  71 फीसदी कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी ऑनलाइन की. दरअसल यूपी सरकार ने IAS और पीसीएस की तर्ज पर सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की डिटेल ऑनलाइन करने का आदेश दिया है.  हालांकि इसमें शिक्षकों के साथ निगमों और स्वायत्तशासी संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है. जिन कर्मचारियों ने सरकारी आदेश को हल्के में ले लिया उनकी सैलरी रोक दी गई और माना जा रहा है कि उनके खिलाफ अन्य कार्रवाई भी की जा सकती है.  

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