World Consumer Rights Day: एक उपभोक्ता के तौर पर आप कितने सजग हैं, क्या आपको अपने अधिकार पता है? 15 मार्च को हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है, लेकिन अब भी उपभोक्ताओं के अपनी ताकत का अहसास नहीं है. तो आइए, समझिए और जागरूक बनिए अपने अधिकारों को लेकर.
Trending Photos
World Consumer Rights Day: अगर देखा जाए तो हम अपनी दिनचर्या में जिस भी वस्तु या सेवा से जुड़ते हैं, हम उसके उपभोक्ता हैं, हर सेवा देने वाली कंपनी या उत्पाद की अपनी नियम और शर्तें होती हैं, ऐसे में उपभोक्ता को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग होने की ज़रूरत है. ऐसा न हो कि हम पैसे भी ख़र्च करें और नुकसान भी हमारा ही हो. सरकार समय समय पर "जागो ग्राहक जागो " जैसे अभियान चलाती है, लेकिन हमें भी अपने अधिकारों और कर्तव्य की जानकारी होना जरूरी है.
Consumer Protection Act: उपभोक्ता संरक्षण कानून में केंद्र सरकार ने कई बड़े बदलाव किए हैं. नए उपभोक्ता कानून लागू होने के बाद कंपनियों और उनके विज्ञापन करने वाले कलाकारों की जवाबदेही पहले से ज्यादा हो गई है. ऐसे में उपभोक्ता अब पहले से ज्यादा सशक्त होकर खरीदारी कर सकते हैं. सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के ई-कॉमर्स कंपनियों को भी हैं शामिल किया है.
ये भी पढ़ें- AC की ठंडी हवा के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत, गर्मी शुरू होते ही कंपनियां बढ़ाएंगी 7-8 परसेंट तक दाम
नए नियम के तहत अब उपभोक्ता किसी भी कमीशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जबकि पहले ऐसा नहीं था. केस वहीं दर्ज होता था जहां सामान बनाने वाले या सर्विस देने वाली कंपनी का दफ्तर हो.
अब भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलेब्रिटीज को भी सजा और जुर्माने का प्रावधान लागू किया गया है. ऐसे में सेलेब्रिटीज अब सोच समझकर ही विज्ञापनों का चयन करेंगे. पहले भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलेब्रिटीज की कोई जवाबदेही नहीं होती थी.
नए कानून में ई-कॉमर्स कंपनियों को शामिल किया गया है. यानी अब ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को उत्पाद या सेवा के लिए कस्टमर केयर के सहारे बैठने की ज़रूरत नहीं, अपनी शिकायत किसी भी जगह दर्ज कर सकते हैं.
अब बेचने वाला भी इस कानून के दायरे में होगा है. अगर कोई दुकानदार सामान को तय MRP (Maximum Retail Price) से ज्यादा पर बेच रहा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
अब खाने-पीने की चीजों को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है. यानी खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है. मिलावट के मामले में 6 महीने की सजा, जबकि मिलावट के चलते ग्राहक की मौत पर उम्रकैद की सजा हो सकती है.
पहले किसी खराब उत्पाद पर सिर्फ उसकी तय रकम और थोड़ा हर्जाना मिलता था जो कई मामलों में तो तय ही नहीं था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर प्रोडक्ट लायबिलिटी तय कर दी गई है.
पहले जिला स्तर पर 20 लाख रुपये तक, राज्य स्तर पर एक करोड़ रुपये तक और इससे ज्यादा रकम के मामलों की शिकायत की सुनवाई राष्ट्रीय स्तर पर की जा सकती थी, अब जिला आयोग का मूल आर्थिक क्षेत्र 1 करोड़ रुपये तक हो गया है, 10 करोड़ तक की धनराशि के मामले राज्य आयोग सुनेगा जबकि इससे ज्यादा मूल्यों के मामले की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर अपील कर सकते हैं.
अगर एक कंपनी के खिलाफ उसके उत्पाद को लेकर अलग-अलग मामले कई जगह पर हैं तो अब बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में भी क्लास एक्शन सूट से का सामना करना होगा. क्लास सूट के तहत एक जैसे मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है.
ग्राहक मध्यस्थता सेल का गठन किया गया है, अब दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकते हैं.
10. उपभोक्ता आयोग
कंज्यूमर फोरम को और मजबूत बनाने के लिए साथ ही इसे कंज्यूमर कमीशन कर दिया गया है.
इसके तहत कोई ग्राहक उत्पाद या सेवा की जानकारी पा सकता है. जैसे वस्तु की मात्रा, क्षमता, गुणवत्ता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, के बारे में जानकारी.
नए कानून में ग्राहकों को सुनवाई का अधिकार मिला हुआ है. यानी शॉपिंग के दौरान शोषण के विरुद्ध वह केस कर सकता है और उसकी सुनवाई की जाएगी.
कंपनी के लिए ग्राहक की किसी भी सममस्या या असुविधा का निवारण करना अनिवार्य बनाया गया है.
अगर किसी उत्पाद या सेवा से जिंदगी को खतरा हो सकता है उनसे सुरक्षा का अधिकार. जैसे तेजाब से लोगों की जिंदगी को खतरा होता है तो ऐसे में ग्राहकों को इससे सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है.
ग्राहक पर दबाव डालकर या जबरन खरीदारी नहीं करवाई जा सकती. जबतक ग्राहक आश्वस्त नहीं हो जाता और वह वस्तु को जांच-परख न ले उसे जबरन खरीदारी के लिए नहीं कहा जा सकता.
विज्ञापनों की प्रामाणिकता की जांच करने वाली संस्था 'एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) ने सभी विज्ञापनदाता, विज्ञापनकर्ताओं को भ्रामक जानकारी वाले प्रचार से बचने की सलाह दी है. ASCI ने उम्मीद जताई है कि नए अधिनियम से भ्रामक विज्ञापनों पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा, जो इन दिनों काफी छाये हुए हैं. ASCI, प्रिंट और टीवी पर निगरानी के साथ जल्द ही डिजिटल मीडिया पर दिखने वाले भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी शुरू करेगा. इस नए कानून के तहत कंज्यूमर्स अपनी शिकायतों को उस जिला या राज्य उपभोक्ता आयुक्त के यहां दर्ज करा सकते हैं, जहां वह रहते हैं, बजाय इसके कि जहां से उन्होंने उस उत्पाद/सेवा को खरीदा था.
LIVE TV