10th 12th Result India: 10वीं 12वीं में फेल हो गए 65 लाख से ज्यादा स्टूडेंट, कैसा है सरकारी स्कूलों का हाल
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10th 12th Result India: 10वीं 12वीं में फेल हो गए 65 लाख से ज्यादा स्टूडेंट, कैसा है सरकारी स्कूलों का हाल

65 Lakh Students Failed: 2023 में छात्रों के ओवरऑल प्रदर्शन में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है. यह परीक्षा के लिए बड़े कोर्स के कारण हो सकता है.

10th 12th Result India: 10वीं 12वीं में फेल हो गए 65 लाख से ज्यादा स्टूडेंट, कैसा है सरकारी स्कूलों का हाल

CBES, UP Board, Bihar Board,  BSEB, Rajasthan Board: पिछले साल देशभर में 65 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हो सके. अलग अलग राज्य बोर्ड में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड की तुलना में ज्यादा थी. शिक्षा मंत्रालय (एमओई) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. 

देश में 56 राज्य बोर्ड और तीन नेशनल बोर्ड समेत 59 स्कूल बोर्ड के कक्षा 10वीं और 12वीं के रिजल्ट के विश्लेषण से पता चला है कि सरकारी स्कूलों से कक्षा 12वीं की परीक्षा में ज्यादा लड़कियां शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्थिति इसके विपरीत है. शिक्षा मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, "कक्षा 10वीं के करीब 33.5 लाख छात्र अगली कक्षा में नहीं पहुंच पाए. 5.5 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 28 लाख फेल हो गए." 

इसी तरह, कक्षा 12वीं के लगभग 32.4 लाख छात्र पास नहीं हो पाए. जबकि 5.2 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए, 27.2 लाख छात्र फेल हो गए. कक्षा 10वीं में, केंद्रीय बोर्ड में छात्रों के फेल होने की दर छह प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 16 प्रतिशत थी. कक्षा 12वीं में, केंद्रीय बोर्ड में असफलता दर 12 प्रतिशत है, जबकि राज्य बोर्ड में यह दर 18 प्रतिशत है. मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि दोनों क्लास में मुक्त विद्यालय का प्रदर्शन खराब रहा. कक्षा 10वीं में सबसे ज्यादा फेल होने वाले छात्र मध्यप्रदेश बोर्ड से थे, उसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का स्थान था, जबकि कक्षा 12वीं में सबसे ज्यादा फेल होने वाले छात्र उत्तर प्रदेश से थे, उसके बाद मध्यप्रदेश का स्थान था. 

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अधिकारी ने कहा, "2023 में छात्रों के ओवरऑल प्रदर्शन में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है. यह परीक्षा के लिए बड़े कोर्स के कारण हो सकता है." सरकारी स्कूलों से कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में ज्यादा लड़कियां शामिल हुईं. अधिकारी ने कहा, "यह अभिभावकों द्वारा शिक्षा पर खर्च करने में लैंगिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है. हालांकि, सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पास होने के मामले में लड़कियां सबसे आगे हैं."

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