Delhi: शिक्षा मंत्री आतिशी ने 5000 टीचर्स के ट्रांस्फर को रद्द करने के दिए आदेश, लगाए रिश्वतखोरी के आरोप
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Delhi: शिक्षा मंत्री आतिशी ने 5000 टीचर्स के ट्रांस्फर को रद्द करने के दिए आदेश, लगाए रिश्वतखोरी के आरोप

Delhi 5000 Teachers Transfer: दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि वे बिना उनके निर्देश के जारी किए गए 5000 टीचर्स के ट्रांस्फर ऑर्डर को तुरंत वापस लें.

Delhi: शिक्षा मंत्री आतिशी ने 5000 टीचर्स के ट्रांस्फर को रद्द करने के दिए आदेश, लगाए रिश्वतखोरी के आरोप

Delhi 5000 Teachers Transfer: दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने गुरुवार को चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को निर्देश दिया कि वे मंगलवार को जारी किए गए करीब 5,000 सरकारी स्कूल के टीचर्स के ट्रांस्फर के ऑर्डर को तुरंत वापस लें.

आतिशी ने चीफ सेक्रेटरी से उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को भी कहा, जिन्होंने 1 जुलाई को शिक्षा विभाग के ट्रांस्फर को रोकने के उनके निर्देश की "जानबूझकर अवहेलना" की. उन्होंने कुमार से यह भी कहा कि टीचर्स ने किसी विशेष स्कूल में 10 साल पूरे कर लिए हैं इस तर्क पर उनके अनिवार्य ट्रांस्फर को तत्काल रोक दिया जाए.

आतिशी ने ट्रांस्फर के आदेश को नासमझी भरा कृत्य करार दिया और कहा कि यह न केवल शिक्षा मंत्री के निर्देश की घोर अवहेलना है, बल्कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 की भावना और प्रावधान की भी पूरी तरह अवहेलना है.

शिक्षा विभाग ने मंगलवार आधी रात को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर करीब 5,000 टीचर्स के ट्रांस्फर के आदेश जारी कर दिए थे. एनुअल ट्रांस्फर पॉलिसी के तहत उन टीचर्स का तबादला अनिवार्य है, जिन्होंने एक ही स्कूल में 10 साल से अधिक समय तक काम किया है.

यह ट्रांस्फर ऑर्डर शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले महीने अपने टीचिंग स्टाफ के ट्रांस्फर के लिए ऑनलाइन अनुरोधों के संबंध में जारी किए गए सर्कुलर के बाद आया है.

आतिशी ने कहा, "इस सर्कुलर के खंड 16 के तहत, उन सभी टीचर्स को अनिवार्य रूप से ट्रांस्फर के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया गया था, जिन्होंने एक ही स्कूल में 10 साल से अधिक समय तक सेवा की है, ऐसा न करने पर उन्हें शिक्षा निदेशालय द्वारा किसी भी स्कूल में ट्रांस्फर कर दिया जाएगा." उन्होंने कहा कि लगभग 5,000 टीचर्स जिन्होंने किसी भी ट्रांस्फर के लिए आवेदन नहीं किया था, उन्हें इस विवादास्पद खंड का हवाला देते हुए अन्य स्कूलों में ट्रांस्फर कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि अगर कोई टीचर एक ही स्कूल में सेवा दे चुका है तो अनिवार्य ट्रांस्फर का प्रावधान शिक्षा निदेशालय द्वारा इस वर्ष शिक्षकों की ट्रांस्फर पॉलिसी में शुरू की गई एक नई शर्त है. उन्होंने कहा, "इस तथ्य के बावजूद कि शिक्षा निदेशालय द्वारा मेरी सहमति या परामर्श के बिना इतना महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिया गया, इस खंड को वापस लेने के मेरे बाद के निर्देश की भी अनदेखी की गई और उसकी अवहेलना की गई."

"इतने बड़े पैमाने पर ट्रांस्फर से पूरी स्कूल व्यवस्था बाधित हो गई है. आतिशी ने कहा कि जिस स्कूल से किसी टीचर को ट्रांस्फर किया गया है और जिस स्कूल में उसे ट्रांस्फर किया गया है, दोनों ही हिल जाएंगे, क्योंकि छात्रों, उनके अभिभावकों और कम्युनिटी के साथ संबंध बनाने की प्रक्रिया को फिर से शुरू करना होगा.

उन्होंने कहा कि स्कूल में माहौल को बेहतर बनाने के लिए असाधारण परिस्थितियों में ट्रांस्फर की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह "विवेकहीन कार्रवाई" पूरी तरह से एक मैकेनिकल एडमिनिस्ट्रेटिव डिवाइस है, जो टीचर्स को हतोत्साहित करेगा, टीचर्स और कम्युनिटी के बीच संबंधों को तोड़ देगा और स्कूलों के शैक्षणिक प्रदर्शन को भी प्रभावित करेगा.

उन्होंने कहा, "यह मास ट्रांस्फर स्कूलों की शैक्षणिक उपलब्धि को नुकसान पहुंचाने का एकमात्र उद्देश्य पूरा करेगा. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे समाज के सबसे गरीब तबके से आते हैं, जिनके घरों में कोई शैक्षणिक सहायता नहीं होती है. स्कूलों में शैक्षणिक माहौल को कोई भी नुकसान उनकी शिक्षा और भविष्य पर आजीवन प्रभाव डाल सकता है." 

उन्होंने आरोप लगाया कि कई शिक्षकों ने इस मास ट्रांस्फर में कुछ अधिकारियों द्वारा "भ्रष्टाचार" का आरोप लगाते हुए उनसे संपर्क किया था, जिसके तहत उन्हें बिना विचार किए उनकी पसंद के स्कूलों में पोस्टिंग की पेशकश की गई थी.

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