Hathras Stampede: शादी के 20 साल बाद हुआ था बेटा, हाथरस भगदड़ में मां के साथ मौत, बाप की पीड़ा- कई बच्चों की लाश में ढूंढना पड़ा
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Hathras Stampede: शादी के 20 साल बाद हुआ था बेटा, हाथरस भगदड़ में मां के साथ मौत, बाप की पीड़ा- कई बच्चों की लाश में ढूंढना पड़ा

Hathras Death Toll: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है. स्वयंभू बाबा के सामने बेकाबू भीड़ में जान गवांने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. 

Hathras Stampede: शादी के 20 साल बाद हुआ था बेटा, हाथरस भगदड़ में मां के साथ मौत, बाप की पीड़ा- कई बच्चों की लाश में ढूंढना पड़ा

Hathras Stampede News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदांयू जिले के बिसौली के रहने वाले 48 वर्षीय किशोरी लाल ने मंगलवार को हाथरस में हुई भगदड़ में अपनी 42 साल की पत्नी और चार साल के इकलौते बेटे को खो दिया. उस पल को याद करते हुए किशोरी लाल फूट-फूटकर रोने लगते हैं. उन्होंने बताया कि अपने बेटे को ढूंढने के लिए सिकंदरा राऊ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में कई बच्चों की लाश को देखना पड़ा. मुर्दा पड़े इतने बच्चों को एक साथ देखकर किसी का भी कलेजा फट जाएगा.

शादी के 20 साल के लंबे इंतजार के बाद हुआ था बेटा, पत्नी समेत गंवाया

किशोरी लाल ने कहा, "शादी के 20 साल के लंबे इंतजार के बाद, हमें एक बेटे का आशीर्वाद मिला था. मेरी पत्नी सत्संग में गई और हमारे बच्चे को अपने साथ ले गई. मैं खेती और किसानी से जुड़ा कुछ सामान खरीदने के लिए कासगंज गया था. जब मैं वापस आया, तो मैंने अपनी पत्नी को फोन किया. फोन पर किसी और शख्स की आवाज आई. उसने मुझे हाथरस भगदड़ के बारे में बताया."

कुछ बच्चे तो इतने छोटे थे कि उन्हें घर पर अकेले नहीं छोड़ा जा सकता था

किशोरी लाल ने बेहद मुश्किल से आंसू रोकते हुए आगे बताना जारी रखा. उन्होंने कहा, "मैं भागकर पास के अस्पताल में गया और देखा कि हर जगह शवों के ढेर पड़े थे. उनमें से कुछ की जांच करने के बाद, मैंने पाया कि मेरी पत्नी और बेटा स्ट्रेचर बेजान पड़े थे. मैं जीवित क्यों हूँ? मुझे भी उनके साथ निकल जाना चाहिए था." हाथरस की दर्दनाक घटना में मरने वालों में कई बच्चे भी शामिल थे. कुछ बच्चे तो इतने छोटे थे कि उन्हें घर पर अकेले नहीं छोड़ा जा सकता था. स्थानीय निवासी सूर्यदेव यादव ने कहा, "मरने वाले बच्चे में से ज्यादातर 10 साल से कम उम्र के थे."

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चश्मदीद ने बताया कभी न भूलने वाला हाल, एक बच्ची ने उसकी बांहों में तोड़ा दम

हाथरस भगदड़ के समय एटा जा रहे सोनू शर्मा ने कहा, "मैं राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार्यक्रम स्थल के पास से गुजर रहा था. वहां मैंने देखा कि सड़क के किनारे लोगों की लाश पड़ी हैं. मुझे कुछ भी पता नहीं था कि क्या हुआ था..."' उन्होंने आगे कहा, ''मैंने एक छोटी लड़की को हाईवे के डिवाइडर पर पड़ा देखा. मैं उसकी ओर दौड़ा. वह लगभग 8-9 साल की बच्ची थी. मैंने उसे अपनी बाहों में पकड़ कर उठाने की कोशिश की. इससे पहले कि मैं सांस ले पाता या कुछ भी कर पाता, वह गिर पड़ी. वहां, सामने ही कई दूसरे बच्चे और महिलाएं भी मुर्दा पड़ी हुई थीं. मैंने वहां जो दृश्य देखा, वह मैं जीवन भर नहीं भूल सकूंगा."

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