यूपीएससी की 2022 और 2023 की सिविल सेवा परीक्षाओं में अपने परिणामों के बारे में गलत दावा करने कारण वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट, स्टडीआईक्यू आईएएस और एज आईएएस पर कुल 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
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नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority) ने सिविल सेवा परीक्षाओं में अपनी सफलता दर के बारे में भ्रामक विज्ञापन फैलाने के लिए तीन कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर कुल 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसकी जानकारी सरकार ने गुरुवार को दी.
आधिकारिक बयान के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की 2022 और 2023 की सिविल सेवा परीक्षाओं में अपने परिणामों के बारे में गलत दावे करने के लिए वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट (Vajirao & Reddy Institute) और स्टडीआईक्यू आईएएस (StudyIQ IAS) पर 7-7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि एज आईएएस (Edge IAS) पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
चीफ कमिश्नर निधि खरे की अध्यक्षता वाली सीसीपीए ने पाया कि इन संस्थानों ने यह खुलासा न करके जनता को गुमराह किया था कि उनके अधिकांश सफल उम्मीदवारों ने केवल इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम्स में दाखिला लिया था. इससे उनके अन्य पाठ्यक्रमों की प्रभावशीलता के बारे में गलत धारणा बनी.
वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने 2022 की परीक्षा में "933 में से 617 सेलेक्शन" का दावा किया, जबकि स्टडीआईक्यू आईएएस ने 2023 में "120+ सेलेक्शन" का विज्ञापन दिया.
जांच से पता चला कि दोनों संस्थानों में अधिकांश सफल उम्मीदवारों ने केवल इंटरव्यू की तैयारी के कोर्स लिए थे.
स्टडीआईक्यू आईएएस अपने "सफलता पक्का ऑफर" और "चयन पक्का ऑफर" के दावों को साबित करने में भी विफल रहा, क्योंकि यह दावा किए गए सफल उम्मीदवारों के लिए इनरोलमेंट फॉर्म और फीस की रसीदें प्रदान नहीं कर सका. संस्थान ने 60 से अधिक पाठ्यक्रमों का विज्ञापन किया, लेकिन यह उल्लेख नहीं किया कि उसका इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम, जिसे कई सफल उम्मीदवारों ने लिया, सूचीबद्ध पाठ्यक्रमों का हिस्सा नहीं था.
सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापन करने के लिए कोचिंग संस्थानों को 45 नोटिस भेजे हैं और अब तक 22 संस्थानों पर 71.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत, महत्वपूर्ण डिटेल को जानबूझकर छिपाने वाले विज्ञापनों को भ्रामक माना जाता है और इसके परिणामस्वरूप जुर्माना लगाया जा सकता है.