Airplane Interesting Facts: एयरप्लेन में टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान लाइट्स को डिम या फिर बिल्कुल बंद कर दिया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? अगर नहीं, तो इसके लिए आप हमारी यह खबर पढ़ सकते हैं.
Trending Photos
Airplane Interesting Facts: आप में से कई लोगों ने कभी ना कभी प्लेन में सफर तो किया ही होगा. हालांकि, अगर नहीं भी किया है, तो कम से कम प्लेन के कुछ नियमों के बारे में तो शायद आप जानते ही होंगे. जैसे फ्लाइट में कब सीट बैल्ट लगानी होती है, किस वक्त टॉयलेट का इस्तेमाल करना होता है, सीट के सामने मौजूद स्टैंड को कब खोलना होता है और कब बंद करना होता है आदि. इसी को देखते हुए आज हम आपको एक फैक्ट के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट के टेक ऑफ या लैंडिंग के समय उसकी लाइट्स (Lights) क्यों बंद कर दी जाती है. अगर नहीं, तो आइये आज हम आपको इसके पीछे के अहम कारण के बारे में बताते हैं.
इसलिए टेक ऑफ और लैंडिंग से पहले बंद की जाती है लाइट्स
दरअसल, हमारी आंखों को अंधेरे में एडजस्ट होने में करीब 10 से 30 मिनट का समय लगता है. ऐसे में एयरलाइंस इस बात का ध्यान रखती है कि अगर प्लेन में टेक ऑफ या लैंडिंग के समय अचानक कोई हादसा हो जाए और प्लेन की लाइट्स तुरंत बंद हो जाए, तो ऐसी स्थिति में कोई यात्री घबराए नहीं. इसलिए टेक ऑफ या लैंडिंग से काफी देर पहले ही प्लेन की लाइट्स डिम कर दी जाती है. बोइंग एयरलाइन के मुताबिक, 2006 से 2017 के बीच के उनके अनुभव बताते हैं कि टेक ऑफ के शुरूआती 3 मिनट के अंदर 13 प्रतिशत हादसे हुए हैं और लैंडिंग के आठ मिनट पहले तक 48 प्रतिशत हादसे होते हैं.
इमरजेंसी लाइट्स भी हैं एक वजह
इसके अलावा लैंडिंग और टेकऑफ के समय प्लेन की लाइट्स इसलिए भी बंद कर दी जाती है, ताकि यात्रियों को फ्लाइट में लगी एमरजेंसी लाइट्स साफ तौर पर नजर आ सके. बता दें कि इन एमरजेंसी लाइट्स में चमकने वाले रिफलेक्टर्स लगे होते हैं और ये लाइट्स ठीक यात्रियों की सीट के ऊपर लगी होती है, जो रेड और येल्लो रंग की होती हैं. यह लाइट्स आपको हर एक्शन के लिए सिग्नल देने का काम करती हैं.