IIT Graduates Engineering Jobs: लोग सोचते हैं कि इंजीनियरिंग करने पर बहुत अच्छी कमाई हो जाती है. इसलिए बहुत सारे स्टूडेंट्स को लगता है कि उन्हें बहुत ज्यादा सैलरी वाली नौकरी मिलनी चाहिए.
Trending Photos
IIT Campus Placements: एक समय था जब आईआईटी का नाम सुनते ही लोगों की आंखों में चमक आ जाती थी. इसका मतलब था अच्छी नौकरी और शानदार फ्यूचर. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. नए आंकड़े बता रहे हैं कि आईआईटी के छात्रों को भी नौकरी पाने में काफी दिक्कत हो रही है. बहुत सारे आईआईटी वाले स्टूडेंट्स को कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी नहीं मिल रही है.
भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज हमेशा से ही बेहतरीन स्टूडेंट्स तैयार करने के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. पहली नजर में तो सब कुछ ठीक ही दिखता है, लेकिन अगर गौर से देखें तो चिंता की बात है. पिछले दो साल में नौकरी ना पाने वाले छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. इसका मतलब है कि छात्रों के पास वो काबिलियत नहीं है जो आज की नौकरियों के लिए जरूरी है.
23 आईआईटी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में आईआईटी से पढ़ाई करके भी नौकरी ना पाने वाले छात्रों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. साल 2024 में तो ये संख्या बहुत ही ज्यादा हो गई. कैंपस प्लेसमेंट के बाद करीब 8000 छात्रों को नौकरी नहीं मिली. ये संख्या हर साल बढ़ ही रही है. साल 2023 में 4170 छात्र बेरोजगार रहे, जबकि 2022 में ये संख्या 3400 थी.
इस तरह से इतने सारे इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को नौकरी नहीं मिलने की वजह से लोग सोचने लगे हैं कि क्या वाकई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अच्छी नौकरी मिल ही पाती है, जैसा कि पहले माना जाता था.
स्किल गेप: टेक्नोलॉजी और काम की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है, लेकिन कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाया जाने वाला तरीका पुराना ही है. बहुत सारे स्टूडेंट्स के पास वो काबिलियत नहीं होती जो कंपनियों को चाहिए होती है. यानी छात्रों के पास जो आता है और कंपनियों को जो चाहिए, दोनों में काफी अंतर है.
कैंपस प्लेसमेंट पर ज्यादा निर्भरता: पहले से ही आईआईटी का मतलब अच्छी नौकरी मिलना होता था, लेकिन अब इंजीनियरों की संख्या बहुत बढ़ गई है. इससे कंपटीशन ज्यादा हो गया है और सभी स्टूडेंट्स को अच्छी नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है.
सॉफ्ट स्किल्स की कमी: इंजीनियरिंग में पढ़ाई के साथ-साथ, बातचीत करने, टीम के साथ काम करने और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे सॉफ्ट स्किल भी बहुत जरूरी हैं, लेकिन बहुत सारे इंजीनियरों में ये सॉफ्ट स्किल नहीं होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी ढूंढने में परेशानी होती है.
मंदी और इंडस्ट्री में बदलाव: देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और कंपनियां भी अपने काम के तरीके बदलती रहती हैं. इसकी वजह से इंजीनियरों के लिए नौकरियां कम हो जाती हैं. उदाहरण के लिए, आईटी और ई-कॉमर्स जैसी कंपनियां पहले बहुत सारी नौकरियां देती थीं, लेकिन अब इनमें काम कम हो गया है, जिससे नौकरियां भी कम हो गई हैं.
Manu Bhaker: एक ही ओलंपिक में 2 मेडल जीतने वाली मनु भाकर कहां से और किसकी कर रही हैं पढ़ाई?
ज्यादा उम्मीदें: लोग सोचते हैं कि इंजीनियरिंग करने पर बहुत अच्छी कमाई हो जाती है. इसलिए बहुत सारे स्टूडेंट्स को लगता है कि उन्हें बहुत ज्यादा सैलरी वाली नौकरी मिलनी चाहिए, लेकिन जब देश की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं चल रही होती है तो इतनी ज्यादा सैलरी वाली नौकरी मिलना मुश्किल हो जाता है. इससे उन्हें नौकरी ढूंढने में परेशानी होती है.
लिमिटेड इंडस्ट्री एक्सपोजर: बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को कंपनियों में काम करने का ज्यादा अनुभव नहीं मिल पाता है. इससे उन्हें नौकरी मिलने के बाद काम करने में दिक्कत होती है.