ugcnet.nta.nic.in: आवेदन रद्द होने पर फीस वापसी के नियम के उल्लंघन पर यूजीसी की तरफ से कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी. इतना ही नहीं, कॉलेजों को दिए जाने वाले सभी ग्रांट्स रोक दिए जाएंगे.
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UGC Fees Return Policy: आवेदन रद्द होने पर फीस वापसी के नियम के उल्लंघन पर यूजीसी की तरफ से कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी. इतना ही नहीं, कॉलेजों को दिए जाने वाले सभी ग्रांट्स रोक दिए जाएंगे. कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई यहीं नहीं रुकेगी बल्कि स्टेट गवर्नमेंट के स्टेट एक्ट के तहत एक्शन लिया जाएगा. यूजीसी ने सभी स्टेट, यूनिवर्सिटी और हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को लेटर लिखा है. पत्र में साफ कहा गया है कि फीस वापसी को लेकर जो नियम 2 अगस्त को तय किए गए थे उनका अनुपालन अनिवार्य है. यूजीसी के मुताबिक फीस वापसी नियम के उल्लंघन पर न तो नए प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति होगी और साथ ही यूनिवर्सिटी का दर्जा भी रद्द किया जाएगा. यूजीसी ने मंगलवार को दोहराया कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए अगस्त 2022 के निर्देश का पालन करना जरूरी है, जिसमें उन्हें 31 अक्टूबर तक स्टूडेंट्स के एडमिशन या हॉस्टल को रद्द करने के मामले में पूरी फीस वापस करनी होगी.
आयोग को यूजीसी दिशानिर्देशों/अधिसूचनाओं का उल्लंघन करने वाले कुछ विश्वविद्यालयों/संस्थानों द्वारा गैर-वापसी शुल्क के संबंध में आरटीआई आवेदनों/शिकायतों/लोक शिकायतों/न्यायालय मामलों के रूप में संदर्भ प्राप्त हुए हैं. आयोग ने ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लिया है. यह दोहराया जाता है कि यूजीसी के पत्र दिनांक 02.08.2022 (अनुबंध) का पूरी तरह से पालन किया जाना है. कोई भी संस्थान/विश्वविद्यालय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया गया और दिशा-निर्देशों/अधिसूचनाओं की व्याख्या देकर शुल्क वापस करने से इनकार कर रहा है, वह दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा जैसा कि यूजीसी अधिसूचना के खंड 5 में फीस की वापसी और गैर-प्रतिधारण के संबंध में नोटिफाई किया गया है. अक्टूबर 2018 में जारी मूल प्रमाण पत्र (https://www.ugc.ac.in/pdfnews/5437737_UGC-Notice-reg-Fees-refund-Eng.pdf) पर मौजूद है.
1. यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12बी के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए उपयुक्तता की घोषणा को वापस लेना.
2. उच्च शिक्षा संस्थान को आवंटित किसी अनुदान को रोकना.
3. आयोग के किसी भी सामान्य या विशेष सहायता कार्यक्रम के तहत किसी भी सहायता के लिए विचार करने के लिए एचईआई को अयोग्य घोषित करना.
4. प्रवेश के लिए संभावित उम्मीदवारों सहित आम जनता को समाचार पत्रों या अन्य उपयुक्त मीडिया में प्रमुखता से प्रदर्शित और आयोग की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए नोटिस के माध्यम से संबंधित एचईआई द्वारा गैर-अनुपालन के बारे में सूचित करना.
5. कॉलेज/संस्थान के मामले में संबद्धता वापस लेने के लिए संबद्ध विश्वविद्यालय को सिफारिश करना.
6. विश्वविद्यालय के रूप में संस्थान के मामले में, संस्थान के रूप में एक विश्वविद्यालय के रूप में घोषणा को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश करना.
7. किसी विश्वविद्यालय की स्थापना या राज्य अधिनियम के तहत निगमित होने की स्थिति में उपयुक्त आवश्यक कार्रवाई के लिए उपयुक्त राज्य सरकार को सिफारिश करना.
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