Success Story: जब महसूस हुआ कि नहीं कर सकतीं ग्राउंड जीरो पर बदलाव, तो AIIMS की डॉक्टर से बनी गईं IAS ऑफिसर
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Success Story: जब महसूस हुआ कि नहीं कर सकतीं ग्राउंड जीरो पर बदलाव, तो AIIMS की डॉक्टर से बनी गईं IAS ऑफिसर

IAS Anshu Priya: आज पढ़िए डॉक्टर अंशु प्रिया की सक्सेस स्टोरी. एक ऐसी ऑफिसर जिन्होंने एमबीबीएस करने के बाद यूपीएससी क्रैक करने का फैसला लिया और तीसरी कोशिश में बढ़िया रैंक हासिल कर आईएएस ऑफिसर बन गईं.

Success Story: जब महसूस हुआ कि नहीं कर सकतीं ग्राउंड जीरो पर बदलाव, तो AIIMS की डॉक्टर से बनी गईं IAS ऑफिसर

Success Story Of IAS Anshu Priya: देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा. इस एग्जाम तो क्रैक करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर सफलता मिलती है. सफल यूपीएससी एस्पिरेंट्स की सफलता की कहानियां हमें सुनने को मिलती है, जो किसी भी परिस्थिति में जमकर डटे रहने के लिए हमें प्रेरित करती हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही ऑफिसर की कहानी बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं आईएएस डॉक्टर अंशु प्रिया के बारे में..

पारिवारिक पृष्ठभूमि
आईएएस अंशु प्रिया का जन्म बिहार के मुंगेर जिले में हुआ था. उनके पिता गर्ल्स मिडिल स्कूल मुंगेर के प्रिंसिपल हैं और मां एक कुशल गृहिणी हैं. जानकारी के मुताबिक अंशु प्रिया के दादा-दादी भी स्कूल टीचर थे. अंशु की 12वीं तक की पढ़ाई मुंगेर के नेट्रोडेम एकेडमी और दरभंगा के उच्च माध्यमिक विद्यालय मुंगेर से हुई. इसके बाद वह मेडिकल एंट्रेस एग्जाम की तैयारी उन्होंने कोटा से की थी. उन्होंने एम्स पटना से एमबीबीएस की डिग्री लीं और वहीं पर बतौर रेजिडेंट फिजिशियन सेवाएं देने लगीं.

तीसरे प्रयास में लगा दिया पूरा जोर
कुछ वर्षों तक हॉस्पिटलों और हेल्थकेयर फैसिलिटीज में सेवा देने के बाद उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम देने का फैसला लिया.इसके बाद लगातार तीन प्रयासों में उन्हें असफलता मिली. पहली बार साल 2019 में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी. अंशु अपने पहले दो अटैम्प्ट में प्रीलिम्स भी नहीं सकी थीं. इसके बाद साल 2021 में तीसरे प्रयास में अंशु प्रिया ने न सिर्फ यूपीएससी परीक्षा क्वालिफाई की, बल्कि 16वीं रैंक हासिल किया. यूपीएससी मेन्स में उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट मेडिकल साइंस था. आईएएस बनने से पहले वह दिल्ली एम्स में अपनी सेवाएं दे रही थीं. 

ऐसे मिली आईएएस बनने की प्रेरणा
एमबीबीएस करने के दौरान उन्होंने देखा कि लोगों को गंभीर रोगों के बारे में जानकारी नहीं है. इलाज की अच्छी व्यवस्था नहीं है. ये सब देखकर उन्हें महसूस हुआ कि वह डॉक्टर बनकर ग्राउंड जीरो पर बदलाव नहीं कर सकतीं. फिर उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने का फैसला किया. 

ऐसे की तैयारी
प्रीलिम्स के बाद आधा समय रिवीजन और बाकी का समय मॉक टेस्ट दिए.
अपने तीसरे अटेम्प्ट में वो क्वेश्चन पेपर सॉल्व किए, जिसकी तैयारी परीक्षा से पहले की थी. 
तीसरे अटेम्पट में सबसे ज्यादा फोकस सेकंड पेपर पर दिया. 

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