Success Story: सफाई कर्मचारी बन गईं डिप्टी कलेक्टर, ऐसी है 40 साल की सिंगल मदर आशा की कहानी
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Success Story: सफाई कर्मचारी बन गईं डिप्टी कलेक्टर, ऐसी है 40 साल की सिंगल मदर आशा की कहानी

Rajasthan Administrative Service Asha Kandara Story: 9 साल पहले आशा और उनके दो बच्चों को उसके पति ने छोड़ दिया था. यह तब था जब उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए जोधपुर नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी की नौकरी की.

Success Story: सफाई कर्मचारी बन गईं डिप्टी कलेक्टर, ऐसी है 40 साल की सिंगल मदर आशा की कहानी

RAS Officer Asha Asha Kandara Story: मेहनत करने वालों को सफलता मिलती है इससे नकारा नहीं जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जोकि एक सफाई कर्मचारी की है. सबसे बड़ी बात कि वह दो बच्चों की मां हैं और अपने पति से 9 साल पहले अलग हो गई थीं. जोधपुर की रहने वाली आशा कंदारा ने भी आरएएस में सफलता हासिल की, लेकिन उनकी कहानी किसी और की नहीं है. 

एक इंटरव्यू में आशा ने कहा कि समाज में उनके साथ जो भेदभाव हुआ उसी को उन्होंने अपनी इंस्पिरेशन बना दिया और कड़ी मेहनत करके यह मुकाम हासिल किया. उन्होंने कहा कि जो भी उन्हें हासिल हुआ है वह उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है. उन्होंने यह भी बताया कि वह एक आईएएस (IAS) अधिकारी बनना चाहती थीं, लेकिन उम्र से संबंधित प्रतिबंधों के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो सकीं.

लेकिन अपनी नई योग्यता जो कि (RAS) के साथ, उनका लक्ष्य समाज को बेहतर बनाना और अपनी क्षमताओं के अनुसार जरूरतमंद लोगों की मदद करना है. आशा जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करती हैं. दो फेज में परीक्षा देने के बाद, आशा को इंतजार करना पड़ा क्योंकि महामारी के कारण रिजल्ट की घोषणा रोक दी गई थी.

9 साल पहले आशा और उनके दो बच्चों को उसके पति ने छोड़ दिया था. यह तब था जब उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए जोधपुर नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी की नौकरी की. उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और अपने माता-पिता की मदद और सपोर्ट से, अपनी पढ़ाई जारी रखने और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया. ग्रेजुएशन होने के बाद वह 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए उपस्थित हुईं.

मैं 2019 में मेन्स के लिए उपस्थित हुई थी। परिणाम घोषित होने से पहले, मुझे नगर निगम में नौकरी मिल गई और इसे ले लिया। मैंने पढ़ाई की और अब परिणाम आपके सामने है।"

सफाई कर्मचारी की नौकरी करते समय आशा को बहुत सारी जातिगत और पति द्वारा छोड़े जानेवाली टिप्पणियों से गुजरना पड़ा और कई तरह के सामाजिक अपमान भी सहने पड़े. इन सभी परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपनी हिम्मत बनाए रखी. उनका मात्र एक लक्ष्य रहा कि उनके बच्चों को किसी तरह अच्छी शिक्षा प्राप्त हो. उन्होंने कहा कि “ इन सबने मुझे यह ताकत दी कि मुझे अपने जीवन में कुछ बनना है और इस समाज को करारा जवाब देना है, जो आज भी लोगों में भेदभाव करता है.”

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