18वीं शताब्दी का कॉलेज, जिसने झेली आर्थिक तंगी; अब दिल्ली में चलता है नाम
Advertisement
trendingNow12206298

18वीं शताब्दी का कॉलेज, जिसने झेली आर्थिक तंगी; अब दिल्ली में चलता है नाम

DU Zakir Husain College: यह एंग्लो-अरबी इंटरमीडिएट कॉलेज 1925 में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध था और 1929 में इसे एक डिग्री कॉलेज के तौर मान्यता मिली. 

18वीं शताब्दी का कॉलेज, जिसने झेली आर्थिक तंगी; अब दिल्ली में चलता है नाम

DU Zakir Husain College: जाकिर हुसैन कॉलेज की शुरुआत मदरसा अजमेरी गेट के पास 18वीं शताब्दी में गाजीउद्दीन खान द्वारा शुरू किया गई थी, लेकिन आर्थिक समस्याओं की वजह से यह लंबे समय तक नहीं चल सका. बाद में 1813 के चार्टर के बाद इसे फिर शुरू किया गया. एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए इसके लिए सालाना एक लाख रुपये अलॉट किए गए. कॉलेज की वेबसाइट के मुताबिक 1845 में कॉलेज में 460 स्टूडेंट्स में से 299 हिंदू थे, 146 मुस्लिम थे और 15 ईसाई थे. 

यह एंग्लो-अरबी इंटरमीडिएट कॉलेज 1925 में दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध था और 1929 में इसे एक डिग्री कॉलेज के तौर मान्यता मिली. विभाजन के बाद हुई हिंसा से मिले जख्म जहां एक तरफ भर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ 1948 में दिल्ली के पुनरुद्धार को लेकर एक अलग अध्याय शुरू हुआ. वहीं जब 1948 में कॉलेज फिर से खुला तो उस दौरान 80 फीसदी छात्र सिंधी लड़कियां थीं. 

विकसित भारत @2047 प्रोग्राम

इस कॉलजे में "विकसित भारत @2047" का प्रोग्राम हुआ. इस प्रोग्राम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल थे. प्रोग्राम के दौरान साल 2022 और 2023 में फर्स्ट, सेकंड तथा थर्ड डिवीजन पाने वाले स्टूडेंट्स को स्मृति चिन्ह और सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया गया.  ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (सांध्य) में बांग्ला, अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा उर्दू भाषाओं में छह पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया जाता है. इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण गोपाल ने उनका विमोचन भी किया. इस सालाना आयोजन में एकेडमिक, स्पोर्ट्स, कला-संगीत-नाटक आदि अलग अलग फील्ड में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स को मुख्य अतिथि के साथ प्राचार्य प्रोफेसर मसरूर अहमद बेग ने भी पुरस्कृत किया. 

यह भी पढ़ें: IAS लघिमा तिवारी ने पहले अटैम्प्ट में हासिल की 19वीं रैंक, जिन्हें सेल्फ-स्टडी पर भरोसा नहीं उनके लिए बनीं मोटिवेशन

कौन थे डॉ. जाकिर हुसैन

डॉ. जाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति थे. उन्होंने अलीगढ़ में मुस्लिम नेशनल यूनिवर्सिटी (बाद में दिल्ली ले जाई गई) की स्थापना में मदद की और 1926 से 1948 तक इसके कुलपति रहे. महात्मा गांधी के निमन्त्रण पर वह प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना 1937 में स्कूलों के लिए गांधीवादी सिलेबस बनाने के लिए हुई थी. 1948 में हुसैन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति बने और चार साल के बाद उन्होंने राज्यसभा में प्रवेश किया.

यह भी पढ़ें: दोस्तों ने एक साथ दी यूपीएससी की परीक्षा, अब हैं IAS और IPS ऑफिसर, जानिए कहां हैं तीनों

Trending news