सत्ताइस का सत्ताधीश कौन? कैसे आखिरी मिनटों में CM योगी ने पलट दिया गेम, 2 सीटों पर सपा को मिला सबसे बड़ा 'दर्द'
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सत्ताइस का सत्ताधीश कौन? कैसे आखिरी मिनटों में CM योगी ने पलट दिया गेम, 2 सीटों पर सपा को मिला सबसे बड़ा 'दर्द'

UP Bypolls 2024 Results: वो पोस्टर तो आपको याद होगा ही, जिसे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने यूपी के हर उस चौक-चौराहे पर लगाया, जहां उपचुनाव होने थे. विशालकाय होर्डिंग और बैनर पर चस्पा किए इस पोस्टर पर. बड़े-बड़े शब्दों में लिखा गया था-2027 के सत्ताधीश और इसी टैग लाइन के साथ SP सुप्रीमों अखिलेश यादव की तस्वीर लगाई गई थी.

सत्ताइस का सत्ताधीश कौन? कैसे आखिरी मिनटों में CM योगी ने पलट दिया गेम, 2 सीटों पर सपा को मिला सबसे बड़ा 'दर्द'

Yogi Adityanath Vs Akhilesh Yadav: 27 के भी सत्ताधीश. पूरे उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी का जोर 2027 विधानसभा चुनाव का नैरेटिव सेट करने पर था. अखिलेश यादव को 27 के सत्ताधीश कहा जा रहा था. मतदाताओं में अखिलेश यादव को लेकर नई उम्मीदें जगाई जा रही थीं. लेकिन 9 में से 7 सीटें योगी को जिताकर मतदाताओं ने मैसेज दे दिया है कि 2027 के सत्ताधीश कौन हो सकते हैं?    

वो पोस्टर तो आपको याद होगा ही, जिसे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने यूपी के हर उस चौक-चौराहे पर लगाया, जहां उपचुनाव होने थे. विशालकाय होर्डिंग और बैनर पर चस्पा किए इस पोस्टर पर. बड़े-बड़े शब्दों में लिखा गया था-2027 के सत्ताधीश और इसी टैग लाइन के साथ SP सुप्रीमों अखिलेश यादव की तस्वीर लगाई गई थी.

सपा के अरमानों पर फिर गया पानी

मगर किसे पता था कि यूपी उपचुनाव के नतीजे आने के साथ ही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के इस अरमान पर पानी फिर जाएगा. अखिलेश यादव को 2027 का सत्ताधीश बनाने का ख्वाब चकनाचूर हो जाएगा और हुआ भी वहीं.

उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिसमें से 7 सीटों पर BJP गठबंधन की बंपर जीत हुई. वहीं समाजवादी पार्टी को महज 2 सीटों पर जीत मिली.

लोकसभा चुनावों के दौरान जिस तरह यूपी में BJP की फजीहत हुई. उससे ना सिर्फ उबरना बल्कि जबरदस्त वापसी करने का जिम्मा CM योगी पर था. उन्होंने उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी. हर विधानसभा सीट पर रैली की. नतीजा ये हुआ कि उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में BJP को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई.

योगी ने साबित किया- वो ही उपयोगी

उपचुनाव में जीत का परचम लहराकर CM योगी ने साबित कर दिया कि यूपी में बीजेपी के लिए वही सबसे ज्यादा उपयोगी हैं. इस परिणाम ने समाजवादी पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को एक ऐसे ट्रॉमा में डाल दिया है,जिससे उबरना आसान नहीं रहने वाला क्योंकि

'2027 के सत्ताधीश' में BJP कार्यकर्ताओं को योगी का चेहरा दिखाई दे रहा है. नतीजों के साथ योगी ने 2027 के विधानसभा चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश की है. जबकि गिरे मनोबल के साथ अखिलेश के लिए 2027 की डगर मुश्किल दिख रही है. 

सपा पर भारी साबित हुए योगी

अखिलेश यादव से सीधी जंग में एक बार फिर योगी भारी साबित हुए. मगर याद कीजिए उस वक्त को जब लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्ष ने CM योगी को टारगेट करते हुए माहौल बनाया था. चुनावी मंच से तमाम तरह के दावे किए जा रहे थे. वो ये कि CM योगी की कुर्सी खतरे में है. 2 महीने में योगी की विदाई होने वाली है...योगी की कुर्सी के नीचे बारूद बिछ चुका है. 

मगर सीएम योगी ने इन तमाम बयानों का घूंट पीकर चुपचाप काम किया. उपचुनावों की 9 विधानसभा सीटों पर पूरी ताकत झोंकी और अब नतीजे CM योगी के बुलंद इरादों और हौसलों की गवाही दे रहे हैं.

मतलब ये कि जिस तरह यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में योगी के खिलाफ नैरेटिव सेट किया गया. उसे CM योगी ने अपने बुलडोजर से रौंद दिया और उपचुनावों में अकेले अपने दम पर कमाल कर दिया और इस परिणाम के साथ ही सीएम योगी ने 2027 में सत्ताधीश बनने की मजबूत दावेदारी भी पेश कर दी.

दो सीटों पर सपा को लगा सबसे बड़ा झटका

यूपी में बीजेपी की जीत से विरोधी खेमे में खलबली मच गई है क्योंकि CM योगी की अगुवाई में BJP ने वैसे तो 7 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन इन 7 में से 2 सीटें ऐसी थी, जिस पर समाजवादी पार्टी का दशकों से दबदबा था. ये 2 सीटें मुस्लिम बहुल थीं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि अखिलेश के गढ़ में CM योगी ने सेंध कैसे लगाई.

ये जीत खास है. इस ऐतिहासिक जीत का अलग ही उत्साह है, जो CM योगी के चेहरे पर साफ-साफ नजर आ रहा है और इस जीत में भी सबसे खास है- ये दो सीटें- कुंदरकी और कटेहरी.

2024 में यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ. जबकि 2022 में 4 सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में थी. मगर इस बार उपचुनावों में SP को महज 2 सीटों पर जीत मिली. यानी समाजवादी पार्टी को सीधे तौर पर 50 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ.

अखिलेश यादव के लिए ये जख्म गहरा है. लेकिन सबसे गहरा है- कुंदरकी और कटेहरी में समाजवादी पार्टी का हार जाना क्योंकि इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी का दशकों से दबदबा था.

कैसे बीजेपी ने कर दिया कमाल

जहां कुंदरकी सीट पर 31 साल बाद बीजेपी का कमल रामवीर सिंह ने खिलाया. तो कटेहरी में 33 साल बाद BJP के धर्मराज निषाद SP उम्मीदवार पर भारी पड़े. ये दोनों विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं और मुस्लिम समुदाय को आमतौर पर समाजवादी पार्टी का खाटी वोटर माना जाता है...अगर बात आंकड़ों की करें तो

कटेहरी में मुस्लिमों की आबादी करीब 3.70 लाख है, जो कि कुल जनसंख्या का करीब 45% हिस्सा है. तो वहीं कुंदरकी में मुस्लिमों की तादाद करीब 2.5 लाख है, जो कुंदरकी की कुल आबादी का करीब 65% हिस्सा है. 

इन दोनों सीटों पर बीजेपी का जीतना इसलिए भी उलटफेर की तरह है क्योंकि बीजेपी को हिंदुत्व की लाइन पर चलने वाली पार्टी माना जाता है. सीएम योगी आदित्यनाथ खुद हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता हैं. लेकिन इसके बावजूद वहां कमल खिले...आखिर क्यों. चलिए जानते हैं.

विरोधियों के लिए खतरे का अलार्म

BJP कैंडिडेट रामवीर सिंह ने प्रचार के दौरान कभी मुस्लिम टोपी पहनी तो कभी भगवा ओढ़ा. कभी मुस्लिम मतदाताओं को कसमें खिलाईं, कभी खुद पार्टी लाइन से हटकर जालीदार टोपी पहने नजर आए. तब जाकर बर्क फैमिली की सीट पर भगवा लहराया. मतलब ये कि BJP उम्मीदवार की जालीदार टोपी गेमचेंजर बनी. CM योगी ने मुसलमानों को धूमधाम से ईंद मनाने का भरोसा दिया. कुंदरकी को 200 करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजना दी. कुंदरकी में करीब 88 हजार तुर्क मुस्लिमों के वोट बंटे. 40 हजार राजपूत मुस्लिमों का वोट BJP में शिफ्ट हुआ. SP विधायक हाजी रिजवान के खिलाफ जनता में नाराजगी थी. 

 मतलब ये कि कुंदरकी और कटेहरी में बीजेपी की जीत...एक नई राजनीति की शुरूआत है..जिसे योगी ने कर दिखाया है...और ये सीधे तौर पर BJP विरोधी दलों के लिए खतरे का अलार्म है.

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