Fish BJP TMC Row: मछली के कांटे बीजेपी के गले में न फंस जाएं? बंगाल में 2019 में ऐसा ही हुआ था
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Fish BJP TMC Row: मछली के कांटे बीजेपी के गले में न फंस जाएं? बंगाल में 2019 में ऐसा ही हुआ था

Fish BJP TMC Bengal: लोकसभा चुनाव में इस बार राहुल गांधी के मटन बनाने, तेजस्वी यादव के मछली खाने की भी खूब चर्चा हुई है. प्रधानमंत्री मोदी ने सावन और नवरात्रि में मछली-मटन के वीडियो को मुगल सोच से जोड़ दिया. हालांकि बंगाल तक पहुंचकर यह मुद्दा टीएमसी के कैंपेन को धार दे रहा है. 

Fish BJP TMC Row: मछली के कांटे बीजेपी के गले में न फंस जाएं? बंगाल में 2019 में ऐसा ही हुआ था

West Bengal Fish Politics: इस बार लोकसभा चुनाव में मछली की काफी चर्चा है. अपने देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो मछली तो खाते हैं लेकिन नवरात्रि या त्योहारों पर दूरी बना लेते हैं. वहीं बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे देश के कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां शादी-विवाह या किसी भी आयोजन में मछली विशेष दर्जा रखती है. ऐसे में भाजपा ने जब तेजस्वी यादव के वीडियो पर हमला बोला तो दूर बंगाल में ममता बनर्जी ने इसे लपक किया. संदेशखाली और घोटालों पर घिरी TMC की थाली में भाजपा ने मछली परोस दी. हां, मछली का महत्व बंगाल में कुछ अलग है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या मछली के कांटे बीजेपी के गले में फंस जाएंगे?

मछली और बाहरी का मुद्दा

ममता बनर्जी ने मछली के मुद्दे पर भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है. वैसे भी बंगाल के लोग मछलियों और बाहरी लोगों को लेकर संवेदनशील रहते हैं. नवरात्रि से पहले शूट किया वीडियो त्योहार के दिन पोस्ट करने पर भाजपा ने तेजस्वी यादव को खूब सुनाया था. पीएम मोदी ने भी रैलियों में खूब जिक्र किया. इसे सनातन विरोधी और हिंदुओं की भावनाओं पर चोट करने वाला बता दिया. तेजस्वी ने हेलिकॉप्टर में मछली खाने का वीडियो शेयर किया था.  

मछली बंगाल की संस्कृति

यही मछली बिहार से उछलकर बंगाल तक पहुंच गई. वहां मछली भोजन ही नहीं, बंगाल की संस्कृति और पहचान से जुड़ी है. बंगाल में भोजन का मतलब ही मछली-भात होता है. सीएम ममता बनर्जी ने लोगों से कहा कि अब भाजपा वाले तय करेंगे कि आप क्या खाएंगे? उनका लक्ष्य आपके जीवन के हर पहलू को कंट्रोल करना है, आप क्या खाते हैं, आप कैसे सोते हैं.

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भाजपा ने ममता को बंगाल की पसंदीदा मछली को मुद्दे में परोसा था तो टीएमसी चीफ भी इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. 

जब पीएम ने कहा उपवास में मछली...

कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RJD नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि जब उत्तर और पश्चिम के लोग उपवास करते हैं और नॉन-वेजिटेरियन भोजन (मांसाहारी) से दूर रहते हैं तो वह नवरात्रि में मछली खाते हैं. खाते हुए खुद को दिखाते हैं. कई भाजपा नेताओं ने कहा कि वह क्या दिखाना चाहते हैं. कुछ ने यहां तक कह दिया कि वह एक खास वर्ग को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने बाद में संतरा खाते हुए वीडियो शेयर किया और साफ कहा कि उन्होंने मछली वाले वीडियो में तारीख लिखी थी फिर भी इसे बीजेपी ने उछाला. 

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अब इस मुद्दे का दूसरा पहलू समझते हैं. चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में मुद्दे लपके जाते हैं. कौन क्या बोल रहा है, क्या लिख रहा है, कैसा दिख रहा है सबको मुद्दे के पहलू पर कसा जाता है. कोई ऐसा मुद्दा जो अपने वोटबैंक को पुष्ट कर सके उसे उछालने की कोशिश हर पार्टियां करती हैं.

साउथ और ईस्ट में मछली

हालांकि बहुसांस्कृतिक देश भारत में जहां सबका अपना कल्चर और खानपान है, कम से कम साउथ और ईस्ट के लोग मछली विवाद से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाएंगे. 

तटीय बंगाल में मछली केवल खाने की चीज नहीं है बल्कि यह इसकी संस्कृति का अभिन्न अंग है. मछली बंगाल में शुभ मानी जाती है. इसे शादी में 'तत्व' के रूप में दिया जाता है. कुछ पूजा में तो मछली का ही भोग लगाया जाता है. वहां दामाद को भोजन में मछली के पकवान परोसे जाते हैं. वहां कोई भी कार्यक्रम बिना मछली अधूरा है. 

ममता ने बड़ी चतुराई से इस मुद्दे को पकड़ा. वह बीजेपी के खिलाफ चुनाव में इस मुद्दे को उछाल रही हैं. 

2019 में भी हुआ ऐसा ही 'खेला'

हां, पिछले आम चुनाव में बीजेपी बंगाल में जोरशोर से चुनाव लड़ रही थी. अंतिम चरण के चुनाव होने वाले थे. वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह की मेगा रैली हुई जिससे वोटरों को एकजुट किया जा सके. आखिरी चरण में 9 सीटें थीं और कहा जा रहा था कि कम से कम चार शहरी सीटें बीजेपी जीत सकती है. इसमें दम दम, जाधवपुर, कोलकाता उत्तर और कोलकाता दक्षिण थी. 19 मई को चुनाव था और 14 मई को रैली के दौरान एक घटना घटी. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई. जहां रैली थी वहां कई बड़े कॉलेज थे. पथराव हुआ और कॉलेज परिसर में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की पुरानी प्रतिमा को तोड़ दिया गया. विद्यासागर कॉलेज में यह हुआ था. विद्यासागर बंगाल के महान समाज सुधारक थे और वहां घर-घर पूजे जाते हैं. 

TMC ने इसे बाहरी मानसिकता बताते हुए भाजपा पर हमला बोला. अगले दिन डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जो हुआ वह बंगाली अस्मिता के खिलाफ है. लोगों में नाराजगी बढ़ गई. ममता ने खंडित प्रतिमा की तस्वीर शेयर की और अपने एक्स सोशल मीडिया हैंडल पर प्रोफाइल पिक्चर बदलकर विद्यासागर की तस्वीर लगा दी. 

जब नतीजे आए तो बीजेपी वो सभी 9 सीटें हार गई थी. जबकि शुरू के चरणों में उसे अच्छा जनसमर्थन मिला था. तभी 42 में से भाजपा 18 सीटें जीत सकी. 

बाहरी वाली बात यूं ही नहीं 

हां, 'बाहरी' वाले कॉन्सेप्ट के पीछे का इतिहास हिंसा और लड़ाई से जुड़ा है. 18वीं शताब्दी में मराठा हमलावरों ने बंगाल पर छह बार अटैक किया था. उस समय नागपुर में मराठा शासक राघोजी भोंसले का शासन था. मराठा हमलावरों को बारगी या बर्गी कहा गया. बताते हैं कि बंगाल के गांवों को लूटा गया था, फसलों में आग लगा दी गई थी. उस अत्याचार की कहानी पीढ़ियों से चली आई और बंगाल को बाहरी लोगों का डर दिखाया जाता रहा. 

मछली पॉलिटिक्स से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी. हालांकि 42 सांसद भेजने वाले स्टेट में मछली के कांटे गड़ने लगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय मांसाहारी भोजन पसंद करते हैं. ऐसे में कल्चर का मुद्दा बनने पर भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है. 

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