Kissa Kursi ka: जब इंदिरा गांधी की अनदेखी चौधरी चरण सिंह को पड़ी थी भारी, एक महीने में चली गई पीएम की कुर्सी
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Kissa Kursi ka: जब इंदिरा गांधी की अनदेखी चौधरी चरण सिंह को पड़ी थी भारी, एक महीने में चली गई पीएम की कुर्सी

Chaudhary Charan Singh Kissa Kursi ka: चौधरी चरण सिंह को कांग्रेस के समर्थन से पीएम पद की कुर्सी मिली थी, लेकिन एक बार वे इंदिरा गांधी की अनदेखी कर गए. यह गलती उन्हें इतनी भारी पड़ी कि पीएम पद की कुर्सी ही चली गई.

 

Kissa Kursi ka: जब इंदिरा गांधी की अनदेखी चौधरी चरण सिंह को पड़ी थी भारी, एक महीने में चली गई पीएम की कुर्सी

Chaudhary Charan Singh and Indira Gandhi News: राजनीति संभावनाओं का खेल है. यहां पर कब किसे कुर्सी मिल जाए और किसकी चली जाए, कोई कह नहीं सकता. हाल ही में भारत रत्न घोषित किए गए चौधरी चरण सिंह के साथ भी ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है. उन्हें इत्तेफाक से पीएम की कुर्सी मिली थी और एक महीने के अंदर ही चली भी गई. आखिर उनके साथ ऐसा क्या हो गया था कि वे अपने कार्यकाल में एक बार भी लालकिले पर तिरंगा तक नहीं फहरा सके. 

इंदिरा गांधी को भेज दिया गया था जेल

बात 1977 की है, जब इमरजेंसी के बाद लोकसभा चुनाव हुए थे. इन चुनावों में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी और कई दलों से मिलकर बनी जनता पार्टी सत्ता में आई थी. इमरजेंसी के दौरान की गई ज्यादतियों के मामले में इंदिरा गांधी के खिलाफ केस दर्ज करके उन्हें जेल भेज दिया गया था. जनता पार्टी की सरकार में मोरारजी भाई देसाई प्रधानमंत्री और चौधरी चरण सिंह गृह मंत्री बने थे. 

गृह मंत्री चरण सिंह को भिजवाया गुलदस्ता

23 दिसंबर 1977 को चौधरी चरण सिंह का जन्म दिन था, तभी उन्हें एक फूलों का गुलदस्ता मिला. यह गुलदस्ता उन्हें जेल में बंद इंदिरा गांधी ने भिजवाया था. इस गुलदस्ते का असर ये हुआ कि सप्ताह भर के भीतर इंदिरा गांधी जेल से रिहा हो गईं. इसके बाद चरण सिंह ने इंदिरा गांधी को अपने घर पर आमंत्रित किया. जब इंदिरा उनके आवास पर पहुंची तो पूरे परिवार ने उनका जोरदार स्वागत किया.

मोरारजी भाई को देना चाहते थे संदेश

इंदिरा गांधी को अपने घर आमंत्रित करने के पीछे चरण सिंह की महत्वाकांक्षा छिपी थी. उनकी नजर पीएम पद की कुर्सी पर थी. वे मोरारजी देसाई को संदेश देना चाहते थे कि अगर भविष्य में कभी जरूरत पड़ी तो इंदिरा कार्ड उनके पास मौजूद है. वहीं राजनीति की मंझी खिलाड़ी इंदिरा गांधी भी यह स्पष्ट कर देना चाहती थीं कि अभी उन्हें चुका हुआ न मान लिया जाए. 

कांग्रेस के समर्थन से चरण सिंह बने नए पीएम

इस मुलाकात का असर जल्द ही नजर आया और मोरारजीभाई को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चरण सिंह को देश का नया पीएम बनाया गया. शपथ ग्रहण के बाद चरण सिंह ने इंदिरा गांधी को फोन मिलाकर कहा कि वे उनका आभार व्यक्त करने के लिए उनके घर आना चाहते हैं, जिस पर इंदिरा ने भी खुशी जताई.

पीएम चरण सिंह के स्वागत में खड़ी थीं इंदिरा

आखिरकार कुछ दिनों बाद पीएम चरण सिंह का इंदिरा गांधी के आवास पर जाने का प्रोग्राम बन गया. उस दिन वे अस्पताल में भर्ती बीजू पटनायक को देखने के लिए जा रहे थे. योजना बनी कि वापस जाते हुए वे इंदिरा गांधी के आवास पर उनसे मिलते हुए जाएंगे. इस बात की सूचना उन्होंने इंदिरा गांधी को भिजवा दी, जिसके बाद उन्होंने गुलदस्ते मंगवा लिए और खुद अपने आवास के बाहर पीएम के स्वागत के लिए खड़ी हो गईं.

इंदिरा के सामने से गुजर गया काफिला

इसी बीच किसी नजदीकी ने चौधरी चरण सिंह को समझाया कि वे अब देश के पीएम हैं. ऐसे में उनका इंदिरा गांधी के आवास पर जाना शोभा नहीं देता. यह बात चरण सिंह को जंच गई. इंदिरा गांधी अपने आवास के बाहर गुलदस्ता लिए खड़ी रह गईं और उनके आवास के सामने से पीएम चरण सिंह का काफिला निकल गया. 

एक गलती ने बिगाड़ दी सारी बात

यह बात इंदिरा गांधी को चुभ गई. वे गुलदस्ता जमीन पर पटककर गुस्से से तमतमाते हुए अपने घर के अंदर चली गई. अब बारी पीएम चरण सिंह के एक्शन पर इंदिरा के रिएक्शन की थी. अपने आवास पहुंचने के बाद चरण सिंह को इंदिरा के गुस्से की बात पता चली तो उसका असर समझते हुए उन्होंने अपने संपर्कों के जरिए मान-मनौव्वल की कोशिश की लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी.

एक महीने में भी चली गई पीएम की कुर्सी

इस घटना के करीब 3 सप्ताह बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चरण सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके साथ ही चरण सिंह की सरकार गिर गई. चरण सिंह देश के ऐसे पीएम बन गए, जिन्हें अपने कार्यकाल में एक बार भी लाल किले से देश को संबोधित करने का मौका नहीं मिला. 

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