Lok Sabha Elections: 8 राज्यों में छठे चरण की वोटिंग शनिवार को संपन्न हो चुकी है. इसमें 1 राज्य ऐसा था जहां वोटिंग के साथ-साथ हिंसा का छठा चरण भी संपन्न हुआ. कोलकाता में 28 मई से 26 जुलाई तक यानी 60 दिनों के लिए धारा 144 लगाई गई है.
Trending Photos
Lok Sabha Elections: 8 राज्यों में छठे चरण की वोटिंग शनिवार को संपन्न हो चुकी है. इसमें 1 राज्य ऐसा था जहां वोटिंग के साथ-साथ हिंसा का छठा चरण भी संपन्न हुआ. कोलकाता में 28 मई से 26 जुलाई तक यानी 60 दिनों के लिए धारा 144 लगाई गई है. ममता सरकार को डर है कि चुनाव के दौरान और उसके बाद यहां बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है. चुनाव के बाद ये धारा 144, करीब 55 दिनों तक और बनी रहेगी. ममता सरकार ने आखिर ऐसा क्यों किया है? इस सवाल का जवाब सभी जानना चाहते हैं. सवाल ये भी कि आखिर चुनाव के बाद किस बात का डर है?
बंगाल से हिंसा का पुराना नाता
पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भी हिंसा होती रही है. क्या इस बार फिर से वही होने का डर है? पश्चिम बंगाल में चुनावों के हर चरण में हिंसा हुई है. छठे चरण की हिंसा में पश्चिम बंगाल के कई इलाके दहल उठे. बंगाल की राजनीति किस स्तर पर आ चुकी है. लोकतंत्र में जवाब देने का अहिंसक रूप है वोटिंग, लेकिन वोटिंग के दिन ही अगर इस तरह का हंगामा हो, तो इससे आप राज्य की कानून व्यवस्था और राजनीति को करीब से समझ सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में हिंसा की तस्वीरें
पश्चिम बंगाल में हिंसा की तस्वीरें पूरे दिन मीडिया की सुर्खियां बनी रहीं. पश्चिम बंगाल में चुनाव कोई भी हो, हिंसा नहीं रुकती. पश्चिम बंगाल में वर्ष 2011 से तृणमूल कांग्रेस की सरकार है. ममता बनर्जी एक लंबे समय से राज्य की मुख्यमंत्री हैं. एक मुख्यमंत्री की शक्तियों के अलावा, उनमें एक और शक्ति भी है. हिंसा को लेकर उनकी भविष्यवाणियां अक्सर सही साबित होती हैं. ऐसा देखा गया है कि ममता बनर्जी ने जितनी बार हिंसा होने का डर जताया है, उतनी बार हिंसा हुई है. फिर चाहे शोभायात्राओं में हिंसा होने का डर हो, या फिर मूर्ति विसर्जन के दिन हिंसा होने का डर. डर के सच हो जाने का एक उदाहरण ये है.
मतदान के हर चरण में हिंसा
इसी वर्ष अप्रैल में ममता द्वारा दिए गए बयान के कुछ दिन बाद मुर्शिदाबाद में शोभायात्रा पर पथराव हुआ, जिससे हिंसा भड़क गई. ममता बनर्जी का डर सच साबित हुआ था. लोकसभा चुनावों में हिंसा का डर भी ममता पहले से जताती रहीं, और आप देख ही रहे हैं कि हर चरण में हिंसा हो रही है. बंगाल में कार्यकर्ताओं के घर जलाए जा रहे हैं, उनकी हत्याएं हो रही हैं. अब तो आरोप ये लगने लगे हैं, कि क्या हिंसा होने का डर जताना, किसी तरह का कोडवर्ड है? पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का इतिहास कुछ ऐसा ही है.
- वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की 693 घटनाओं में 11 मौतें हुई थीं. चुनाव के बाद 1 जून 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक हिंसा की 852 घटनाओं में 61 लोग मारे गए थे.
- 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का आरोप था, कि पश्चिम बंगाल में 300 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए. इस चुनाव परिणाम के 24 घंटे के अंदर ही 12 लोगों की राजनीतिक हत्याएं हुई थीं.
- वर्ष 2018 में पंचायत चुनाव में वोटिंग वाले दिन ही 23 और वर्ष 2023 के पंचायत चुनाव में वोटिंग के दिन 18 लोगों की हत्याएं हुई थीं
ममता चाहें तो हिंसा पर लग सकती है लगाम
ममता एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं, और वो चाहें तो प्रशासन की मदद से हिंसा की गुप्त सूचनाओं पर सख्त एक्शन के जरिए हिंसा पर लगाम लगा सकती है. लेकिन पुलिस पर सख्ती के बजाए, वो राजनीतिक लाभ लेने वाले भाषण देती हैं. अब अगर धारा 144 के जरिए ममता सरकार ने सातवें चरण के बाद हिंसा का डर जताया है.तो ये सोचने वाली बात है. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि धारा 144 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली को रोकने के मकसद से लगाई गई है.
DNA : हिंसा का डर... सातवें चरण पर होगा असर? ममता को चुनाव के बाद हिंसा का डर क्यों है? #DNA #DNAWeekendEdition #WestBengal #JhargramViolence | @ramm_sharma pic.twitter.com/oc11PVUe9W
— Zee News (@ZeeNews) May 25, 2024