Lok Sabha Chunav: जदयू को मुस्लिम बहुल सीमांचल की सीटें, राजद-कांग्रेस और ओवैसी के सामने कैसे 'टेढ़ी खीर' हो सकती है जीत
Advertisement
trendingNow12163106

Lok Sabha Chunav: जदयू को मुस्लिम बहुल सीमांचल की सीटें, राजद-कांग्रेस और ओवैसी के सामने कैसे 'टेढ़ी खीर' हो सकती है जीत

NDA Seat Sharing In Bihar: बिहार में एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा हो गया पर जदयू के लिए चुनौती बढ़ गई है. मुस्लिम बहुल सीमांचल की तीन सीटों पर नीतीश कुमार को माय समीकरण यानी राजद, मुस्लिम वोट बैंक यानी ओवैसी और किशनगंज में कांग्रेस से जीतना चैलेंजिंग टास्क हो सकता है.

Lok Sabha Chunav: जदयू को मुस्लिम बहुल सीमांचल की सीटें, राजद-कांग्रेस और ओवैसी के सामने कैसे 'टेढ़ी खीर' हो सकती है जीत

Seemanchal Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे (NDA Seat Sharing In Bihar) को लेकर सोमवार को समझौता हो गया. समझौते के मुताबिक बिहार की 40 लोकसभा सीटों में भाजपा 17, जदयू 16, लोजपा रामविलास 5, हम और आरएलएसपी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेगी. बिहार में पहली बार एनडीए में भाजपा ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली है.

बिहार एनडीए में जदयू की जगह अब बड़े भाई की भूमिका में भाजपा 

बिहार में एनडीए में अब तक बड़े भाई की भूमिका में रही नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने सीटों के मामले में इस बार अपने कदम पीछे किए हैं. समझौते के मुताबिक, भाजपा पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगुसराय, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 

गठबंधन में जदयू को वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर सीटें दी गई हैं. चिराग पासवान की लोजपा रामविलास को वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई सीट दी गई है. वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी हम को गया लोकसभा सीट और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को काराकाट सीट दी गई है.

सीमांचल और आसपास की पांच सीटों पर जदयू के लिए चैलेंज बढ़ा

एनडीए में सीटों के बंटवारे के बाद सबसे बड़ा सवाल सीमांचल की चार लोकसभा सीटों में अररिया को छोड़कर तीनों किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार सीट जदयू के पास गई है. इन मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों के पास की सुपौल और मधेपुरा सीट पर भी जदयू ताल ठोक रही है. इन पांचों सीटों पर जदयू के प्रदर्शन को लेकर चैलेंज बढ़ता हुआ दिख रहा है. इसमें बस सुपौल को लेकर जदयू को थोड़ी राहत मिल सकती है.

मुस्लिम बहुल सीमांचल की सीटों पर नीतीश कुमार के लिए कड़ा मुकाबला

मुस्लिम बहुल सीमांचल की बाकी तीन सीटों किशनगंज, पूर्णियां और कटिहार समेत पड़ोसी मधेपुरा लोकसभा सीट पर नीतीश कुमार को माय समीकरण यानी राजद, मुस्लिम वोट बैंक यानी ओवैसी से चैलेंजिंग टास्क हो सकता है. लोकसभा चुनाव 2019 में जब बिहार में एनडीए ने कुल 40 सीटों में 39 पर जीत हासिल की थी तब सिर्फ जदयू को ही किशनगंज सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, सीमांचल की बाकी सीटों पर मुश्किल से जीत हासिल की थी.

बिहार में विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन ने फिलहाल अपने सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया है. इसके बावजूद माना जा रहा है कि सीमांचल में जदयू के सामने किशनगंज में कांग्रेस और बाकी सीटों पर राजद से मुकाबला करना होगा. 

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सीमांचल में उतारे प्रत्याशी

इस बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम सीमांचल समेत बिहार की 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. ओवैसी ने एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान को किशनगंज सीट से टिकट दे दिया है. ओवैसी कटिहार, अररिया, पूर्णिया समेत बाकी सीटों पर जल्द ही अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर सकते हैं. इस तरह नीतीश कुमार के लिए चुनौती और ज्यादा बढ़ सकती है.

पूर्णिया प्रमंडल में आने वाले चार जिले अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया को सीमांचल के नाम से भी जाना जाता है. इन सभी जिले को मिलाकर लगभग 75 लाख वोटर लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान करने वाले हैं. इन चार जिलों में सिर्फ अररिया में तीसरे चरण में यानी सात मई को और बाकी कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.

लोकसभा चुनाव 2019 में किशनगंज छोड़कर तीन सीट पर एनडीए की जीत

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे पर एक नजर डालें तो सीमांचल में किशनगंज से कांग्रेस के डॉक्टर मोहम्मद जावेद ने जदयू के सैयद महमूद अशरफ को 34 हजार से अधिक वोटों से हराया था. पूर्णिया में जदयू के संतोष कुमार ने कांग्रेस के उदय सिंह को 263461 वोटों से हराया था. अररिया में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने राजद के सरफराज आलम को 137241 वोटों से हराया था. वहीं, कटिहार में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी ने कांग्रेस के तारिक अनवर को 57203 वोटों से हराया था.

सीमांचल में चौंकाने वाले थे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे

2019 के नतीजे के मुताबिक अररिया में भाजपा और राजद की सीधी टक्कर थी. उसके अलावा तीनों सीटों में कांग्रेस किशनगंज में जीती और कटिहार-पूर्णिया में दूसरे नंबर पर रही थी. कटिहार के अलावा दोनों सीटों पर कांग्रेस की हार का अंतर भी कम रहा था. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे देखें तो सीमांचल में 24 सीटें हैं. इनमें से ज़्यादातर सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 14 सीटों पर लड़कर मौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी, और बहादुरगंज पांच सीटों पर जीत हासिल की थी. 

हालांकि, बाद में इनके चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे. लोकसभा चुनाव 2024 में राजद, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी गठबंधन में शामिल है. वहीं, ओवैसी की पार्टी अकेले लड़ रही है. कटिहार में लेफ्ट दलों का भी असर है. वहीं, मधेपुरा लोकसभा सीट भी एक समय में राजद का गढ़ रहा है.

सीमांचल में मुस्लिमों के सबसे बड़ी आबादी वाला जिला किशनगंज

भारत की जनगणना 2011 के मुताबिक, बिहार के पूर्णिया प्रमंडल (सीमांचल क्षेत्र) की जनसंख्या 1.08 करोड़ है. यहां हिंदुओं की जनसंख्या लगभग 52 फीसदी है. वहीं, सीमांचल में 47 फीसदी मुस्लिम आबादी है. जबकि बिहार राज्य में मुस्लिम की औसत आबादी 17 फीसदी और देश औसत आबादी 14.2 फीसदी है. सरकारी आंकड़ों में किशनगंज में मुस्लिम आबादी लगभग 70 प्रतिशत है. दूसरे स्थान पर कटिहार में मुस्लिम वोटर की संख्या 40 फीसदी है. वहीं अररिया में मुस्लिम आबादी 35 फीसदी से ज्यादा और पूर्णिया में 30 फीसदी से अधिक है.

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Chunav 2024: अलग-अलग राज्यों में किस प्लान पर आगे बढ़ रही भाजपा? गठबंधन, सीट बंटवारे और टिकट का क्या है स्पेशल फॉर्मूला

जदयू कोटे की ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता 

बिहार में 13 लोकसभा सीटों में मुसलमान मतदाताओं की संख्या 15 से 70 फीसदी के बीच है. इनमें सीमांचल की चार सीटों के अलावा मधुबनी में 25 फीसदी, दरभंगा में 22 फीसदी, सीतामढ़ी में 21 फीसदी, पश्चिमी चंपारण 21 फीसदी और पूर्वी चंपारण 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. सीवान, शिवहर, खगड़िया, भागलपुर, सुपौल, मधेपुरा, औरंगाबाद, पटना और गया में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. एनडीए में समझौते के तहत इनमें से ज्यादातर सीटें जदयू के खाते में गई है.

Trending news