Varun Gandhi Letter: '1983 में पहली बार मां के साथ पीलीभीत आया', वरुण गांधी के इमोशनल लेटर के मायने क्या हैं?
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Varun Gandhi Letter: '1983 में पहली बार मां के साथ पीलीभीत आया', वरुण गांधी के इमोशनल लेटर के मायने क्या हैं?

Varun Gandhi Pilibhit: वरुण गांधी ने साफ कर दिया है कि भले ही सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है लेकिन फिर भी वहां जनता के बीच रहेंगे. उनकी मदद में आगे आते रहेंगे.

Varun Gandhi Letter: '1983 में पहली बार मां के साथ पीलीभीत आया', वरुण गांधी के इमोशनल लेटर के मायने क्या हैं?

Varun Gandhi Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) का टिकट इस बार बीजेपी (BJP) ने काट दिया है. वरुण गांधी की जगह बीजेपी जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को पीलीभीत (Pilibhit) से उम्मीदवार बनाया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से मौका नहीं दिए जाने के बाद वरुण गांधी ने एक इमोशनल लेटर पीलीभीत की जनता के नाम लिखा है. जिससे साफ हो रहा है कि वह अभी पीलीभीत को छोड़कर नहीं जाने वाले हैं. वह पीलीभीत के लोगों के लिए आगे भी उपलब्ध रहेंगे और संघर्ष करते रहेंगे.

वरुण गांधी का इमोशनल खत

पीलीभीत की जनता के नाम चिट्ठी में वरुण गांधी ने लिखा कि पीलीभीत वासियों को मेरा प्रणाम! आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे.

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पीलीभीत से जुड़ाव को सौभाग्य मानते हैं वरुण गांधी

मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला. महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है. आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई.

रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता

एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता. सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

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मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है. मैं आपका था, हूं और रहूंगा.

वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा?

कयास लगाए जाने लगे हैं कि वरुण गांधी शांति से अपने घर पर बैठने वाले नेताओं में से नहीं हैं. हालांकि, क्या वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या किसी नई पार्टी में शामिल होंगे, ऐसा वरुण गांधी ने कुछ नहीं बताया है. वरुण गांधी ने ये जरूर कहा है कि पीलीभीत नहीं छोड़ूगा चाहे उसकी कोई भी कीमत चुकानी हो.

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