Aditya Roy Kapoor: इस वेब सीरीज को बॉलीवुड सितारे लीड कर रहे हैं. उनके किरदार अच्छे से लिखे गए हैं और यही बात द नाइट मैनेजर को बचा लेती है. जबकि कहानी की कसावट बीच-बीच में ढीली है. समस्या यह भी है कि जब सबसे रोमांचक मोड़ आता है, बात खत्म हो जाती है. आगे लंबा इंतजार आपके हिस्से आता है.
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Anil Kapoor: बॉलीवुड में अगर रीमेक फिल्में खस्ता हाल में हैं, तो ऐसा नहीं कि ओटीटी पर सब इंडियन या ओरीजनल ही हो रहा है. यहां विदेशी वेब सीरीजों का हिंदुस्तानीकरण करने का कारोबार तेज चल रहा है. फिलहाल सब नया है, तो कुछ-कुछ ठीक लग रहा है. मगर जिस तरह से फिल्मों की तर्ज पर राइटिंग यहां भी दोयम दर्जे की है, उससे यह खेल लंबा चल पाएगा इसमें संदेह है. द नाइट मैनेजर, जॉन ल करे नाम के राइटर का उपन्यास है. इसी नाम से 2016 में बीबीसी वेब सीरीज बना चुका है. अब उस सीरीज का भारतीयकरण डिज्नी हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रहा है. डिज्नी हॉटस्टार हिंदी और साउथ की भाषाओं के लिए कंटेंट तो बना रहा है, लेकिन उसका हिंदी पीआर सही ढंग से काम नहीं कर रहा है और न ही वह ओटीटी को हिंदी मीडिया तथा दर्शकों के बारे में सही रास्ता दिखा पा रहा है.
...और सीजन खत्म
द नाइट मैनेजर सधे कदमों शुरू होता है, मगर पहला एपिसोड काफी धैर्य की मांग करता है. अगर आप इसे पार कर लेंगे, तो आगे की बाकी तीन कड़िया जरूर थोड़ी रोमांचित करती हैं. परंतु समस्या यह है कि इस कहानी में अचानक फिल्मी मोड़ आ जाते हैं, जहां तर्क सिरे से गायब है. जमा-जमा कर लिखी जाती कहानी एकदम फिल्मी हो जाती है. कभी एक-एक दिन को करीने से दिखाया जाता है और कभी कुछ ही मिनटों में महीनों तक आगे छलांग लगा दी जाती है. फिल्म और वेब सीरीज के कहानी कहने का ढंग मिक्स हो जाता है. आप समझ नहीं पाते कि राइटर वेब सीरीज में कहानी कह रहे हैं या यह फिल्म के लिए लिखी गई स्क्रिप्ट है. निश्चित ही किरदार यहां अच्छे से गढ़े गए हैं, लेकिन कहानी में ढील है. निर्देशक संदीप मोदी और प्रियंका घोष ने दृश्यों अपनी तरफ से विश्वसनीय बनाने की पूरी कोशिश की है. वेब सीरीज का थ्रिल धीरे-धीरे बढ़ता है. लेकिन जब कहानी सबसे रोचक बिंदु पर पहुंची है, वहीं इस सीजन की बात खत्म हो जाती है.
अब आगे क्या...ॽ
द नाइट मैनेजर शान सेनगुप्ता (आदित्य रॉय कपूर) की कहानी है. वह नेवी में अफसर था. परंतु निजी विफलताओं और मोहभंग के बाद होटल मैनेजर बन चुका है. वह ढाका (बांग्लादेश) के एक पांच सितारा होटल में नाइट शिफ्ट का मैनेजर है. उसके आगे पीछे कोई नहीं है. होटल में उसे 14 बरस की एक लड़की मिलती है, जिसका रईस बांग्लादेशी से जबर्दस्ती निकाह कराया गया है. वह उसकी तीसरी पत्नी है और शारीरिक शोषण की शिकार है. लड़की शान से भारत लौटने के लिए मदद मांगती है. मगर जब तक शान ऐसा कर सके, वह लड़की मारी जाती है. यहां से कहानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराधियों की एंट्री होती है. जिनका सरगरा शैली उर्फ शैलेंद्र रूंगटा (अनिल कपूर) है. दिखावे के लिए उसका बिजनेस शिपिंग का है, मगर वह पूरी दुनिया में अवैध रूप से हथियारों की खरीद-फरोख्त-सप्लाई करता है. भारत की खुफिया एजेंसी रॉ की उस पर नजर है. शान सेनगुप्ता रॉ में अपनी दोस्त लिपिका सैकिया राव (तिलोत्मा शोम) के साथ मिलकर शैली का भरोसा जीतने और उसे अपने जाल में फंसाने की योजना बनाता है और चार एपिसोड खत्म होते उसमें कामयाब भी हो जाता है. अब आगे क्या...ॽ
चक्करदार प्लानिंग
ओटीटी को लोगों ने इसलिए पसंद किया था कि यहां पूरी कहानी के सारे एपिसोड एक बार में देखने मिल जाते हैं. मगर सब्सक्राइबर को फंसाए रखने के चक्कर में इधर ओटीटी कहानी को दो और तीन सीजन में जबरन ढकेल रहे हैं. द नाइट मैनेजर के चार एपिसोड में जब कहानी पकड़ती है, तभी आप पाते हैं कि आगे रास्ता बंद है. अब महीनों का इंतजार आपके सामने है. द नाइट मैनेजर की कहानी और स्क्रिप्ट की कमजोरियों के बीच इसे कलाकारों का परफॉरमेंस बचा ले जाता है. आदित्य रॉय कपूर और अनिल कपूर यहां बॉलीवुड सितारे हैं. उन्होंने अपने किरदारों को अच्छे ढंग से निभाया है. मगर सीरीज में चमक तिलोत्तमा शोम, शाश्वत चटर्जी और शोभिता धूलिपाला के परफॉरमेंस लाते हैं. जगदीश राजपुरोहित और भगवती पेरुमल भी जब आते हैं, हलचल पैदा करते हैं. करीब पौन-पौन घंटे के ये चार एपिसोड आप खाली समय में देख सकते हैं. अगर आप इसके बाद की आगे की कहानी का लंबा इंतजार करने के लिए तैयार हों.
निर्देशकः संदीप मोदी और प्रियंका घोष
सितारे : आदित्य रॉय कपूर, अनिल कपूर, शोभिता धूलीपाला, तिलोत्तमा शोम, शाश्वत चटर्जी, जगदीश राजपुरोहित
रेटिंग***
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