Hrishikesh Mukherjee: ऋषिकेश मुखर्जी हिंदी फिल्मों के नायाब निर्देशक हैं. उनके सिनेमा की सादगी पर दर्शक ही नहीं, सितारे भी मरते थे. हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था. लेकिन उनकी फिल्म में काम करने की अपनी शर्तें होती थीं. जिन्हें सबको मानना पड़ता. एक बार ए.के. हंगल ने उनकी फिल्म में नए कुर्ते की डिमांड कर दी, जानिए फिर क्या जवाब मिला.
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A.K. Hangal Films: फिल्मों का माहौल ऐसा होता है, जहां स्टार्स की तूती बोलती है. स्टार्स के नखरे उठा उठाकर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर गंजे हो जाते हैं. लेकिन इंडस्ट्री में एक डायरेक्टर ऐसे भी थे जिनकी शर्तों और उसूलों के अनुसार स्टार्स को चलना पड़ता था. सभी उस डायरेक्टर की सारी बातें मानते थे. यह डायरेक्टर थे, ऋषिकेश मुखर्जी. उनकी फिल्में हल्के-फुल्के अंदाज में लोगों का मनोरंजन करती थीं. उनकी फिल्मों में लोगों की आम जिंदगी की कहानियां होती थी. लेकिन उनका कद इतना बड़ा था कि बड़े-बड़े स्टार्स उनके साथ काम करना चाहते थे और उनकी सारी बातों को सर आंखों पर लेते थे.
काम के नियम-कायदे
ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करने के कुछ नियम कायदे थे. हीरो-हीरोइन को अपना स्टारडम शूटिंग के समय सैट से बाहर छोड़कर आना होता था. ऋषिकेश दा को शूटिंग पर देर से आने वाले लोग पसंद नहीं थे. एक्टर के शूटिंग पर देर से आने पर वह उस दिन की शूटिंग ही कैंसिल कर देते थे. उनकी फिल्में कम बजट की होती थी. उन्हें फिल्मों में फालतू पैसा लगाना पसंद नहीं था. अपनी किसी फिल्म में इस्तेमाल की गई चीज को वह फेंकते नहीं थे बल्कि गोडाउन में संभालकर रखते थे. फिल्म ओवरबजट न हो, इसका ध्यान रखते थे. साथ ही हीरो-हीरोइन की ड्रेसेस पर भी ज्यादा पैसा खर्चा करने में वह विश्वास नहीं करते थे. कई बार तो कलाकार सीन की जरूरत के हिसाब से अपने घर से ही कपड़े पहनकर आ जाते थे. इस पर ऋषिकेश मुखर्जी को आपत्ति नहीं होती थी. लेकिन ए.के. हंगल वह कलाकार थे जो फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्देशक की दी हुई ड्रेस ही पहनते थे.
इसलिए मिला रोल
चूंकि ऋषिकेश मुखर्जी अपनी फिल्म का हर सामान संभाल कर रखते थे, इसलिए फिल्म अभिमान (1973) की शूटिंग के दौरान ए.के. हंगल को वही कुर्ता पहनने को दिया गया जो उन्होंने गुड्डी (1971) और बावर्ची (1972) के दौरान पहना था, जिसे देखकर ए.के. हंगल की भौंहें तन गईं. उन्होंने कॉस्ट्यूम संभालने वाले से कहा कि उन्हें नया कुर्ता चाहिए क्योंकि वह यह कुर्ता पहले भी दो फिल्मों में पहन चुके हैं. हंगल साहब की बात सुनकर कॉस्ट्यूम वाले ने कहा- हंगल साहब, जरा सुर नीचा करके धीरे से बोलिए. ऋषि दा न सुन लें. मैं आपको बता दूं कि इस फिल्म में आपको ये रोल इसलिए मिला है क्योंकि ये कुर्ता आपको फिट आ रहा है. वरना, आपकी जगह इस रोल में कोई और होता. कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट वाले के मुंह से यह सुनते ही हंगल साहब का गुस्सा गायब हो गया. उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति के हाथों से वह कुर्ता झटपट पहना और लपककर शूटिंग के लिए सेट पर हाजिर हो गए.