Kadar Khan: आज से चालीस-पचास साल पहले कला की दुनिया में लोग अपने गुरु और उस्ताद को भगवान का दर्जा देते थे. तब सब कुछ प्रोफेनशल नहीं था. कादर खान ने भी राइटिंग और एक्टिंग की दुनिया में कदम रखे तो अपना उस्ताद बनाया. उस्ताद ने उनसे एक वादा लिया, मगर कादर खान उसे निभा नहीं पाए. फिर क्या हुआ...!
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Kadar Khan Career: न चाहते हुए भी आपकी किस्मत आपको कहां से कहां ले जाए और क्या से क्या बना दे कुछ कह नहीं सकते. ऐसा ही कुछ हुआ था बॉलीवुड के बहुमुखी प्रतिभा के धनी कादर खान के साथ. वह फिल्मों में अपना करियर नहीं बनाना चाहते थे. उन्हें अभिनय से प्यार था इसलिए वह थियेटर से जुड़े हुए थे. मुंबई के एक कॉलेज में प्रोफेसर थे और टाइम निकालकर थियेटर में काम करते थे. बॉलीवुड में करियर बनाने का उनका कोई इरादा नहीं था. इसके लिए वह अपने उस्ताद यानी थियेटर गुरु को वचन दे चुके थे कि वह कभी भी फिल्मों का हिस्सा नहीं बनेंगे. लेकिन यह उनकी किस्मत ही थी कि बॉलीवुड ने बार-बार उन्हें अपनी ओर खींचा और वह अपने गुरु को दिए वचन को निभा नहीं सके. जिसके कारण उनके थियेटर गुरु तक उनसे नाराज हो गए.
चार घंटे में लिख डाले डायलॉग
बात 1972 की थी, जब कादर खान द्वारा लिखित एक नाटक देखने के बाद रणधीर कपूर तथा जया बच्चन द्वारा अभिनीत फिल्म ‘जवानी दिवानी’ के निर्देशक नरेंदर बेदी ने उन्हें इस फिल्म के लिए संवाद लिखने का न्योता दिया. पहले कादर खान ने नरेंदर बेदी का यह ऑफर ठुकरा दिया. वह अपने थियटर गुरु को नाराज नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनके गुरु फिल्मों में काम करने के सख्त खिलाफ थे. उस समय कादर खान को प्रोफेसर के रूप में 350 रुपये महीना वेतन मिलता था और वह शौकिया तौर पर थियेटर में काम करके खुश थे. लेकिन नरेंदर बेदी के बहुत आग्रह करने पर उन्होंने जवानी दीवानी फिल्म के डायलॉग्स लिखे जिसके लिए उन्हें 1500 रुपये प्राप्त हुए. उन्होंने यह डायलॉग्स बॉम्बे क्रॉस मैदान में सिर्फ चार घंटे में बैठकर लिख दिए थे.
आया दिलीप कुमार का फोन
कादर खान ने यह फिल्म करके अपने गुरु को नाराज तो कर दिया था लेकिन यह सोच लिया था कि आगे से वह फिल्मों के लिए काम नहीं करेंगे. पर उनका बॉलीवुड में आना और फिल्मों के लिए लिखना किस्मत पहले ही तय कर चुकी थी. नाटकों में उनका अभिनय इतना बढ़िया था कि उनके काम की शोहरत दिलीप कुमार जैसे एक्टर तक पहुंच गई. एक दिन कॉलेज में जब कादर खान पढ़ा रहे थे तो प्यून ने आकर कहा कि आपके लिए ऑफिस में फोन आया है. कादर पहुंचे तो दूसरी तरफ दिलीप कुमार थे. एक पल के लिए उन्हें विश्वास नहीं हुआ. दिलीप कुमार ने उनसे कहा कि मैं आपका नाटक देखना चाहता हूं. नाटक देख कर दिलीप कुमार इतने खुश हुए कि उन्होंने स्टेज पर जाकर कादर खान को अपनी अगली दो फिल्मों में रोल देने की घोषणा कर दी. इसके बाद कादर खान के लिए बॉलीवुड में एक के बाद एक दरवाजे खुलते गए और उन्होंने एक नामी स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग्स राइटर, कॉमेडियन तथा विलेन के रूप में अपनी जगह बनाई.
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