Rabia And Olivia Review: अच्छे सब्जेक्ट का ये है कमजोर ट्रीटमेंट, नेक इरादों के साथ बेहतर मेकिंग भी जरूरी
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Rabia And Olivia Review: अच्छे सब्जेक्ट का ये है कमजोर ट्रीटमेंट, नेक इरादों के साथ बेहतर मेकिंग भी जरूरी

New OTT Film: ओटीटी पर बहुत सारी फिल्में लगातार आ रही हैं. आम तौर पर उनसे अच्छे और अलग कंटेंट की उम्मीद होती है. मगर सिनेमा में अच्छी मेकिंग भी चाहिए. राबिया और ओलीविया यूं तो नेक इरादों से बनी फिल्म है, लेकिन राइटिंग-मेकिंग और एक्टिंग के स्तर पर कहीं छू नहीं पाती.

 

 

Rabia And Olivia Review: अच्छे सब्जेक्ट का ये है कमजोर ट्रीटमेंट, नेक इरादों के साथ बेहतर मेकिंग भी जरूरी

Medical Emotional Drama: सिनेमा में सिर्फ नेक इरादे और जोश-जुनून से ही अच्छी फिल्म नहीं बनती. डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हुई फिल्म राबिया और ओलीविया में आप यह बात देख सकते हैं. फिल्म बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की बात करती है, लेकिन इसका ट्रीटमेंट बहुत कमजोर है. न तो कथा-पटकथा पर जमकर काम किया गया और न ही तकनीकी नजरिये से फिल्म को रचा गया. निर्देशन भी बहुत सपाट है. ऐसे में फिल्म भले ही आप इसके विषय के लिए देख लें, परंतु यह किसी भी तरह से आपको नहीं बांधती.

दो किरदार, एक कहानी
राबिया और ओलीविया टाइटल से ही साफ है कि दो लोगों की कहानी है. यहां राबिया (नायाब खान) अवैध रूप से कनाडा में रह रही है. उसे काम की तलाश है. ओलीविया 10 साल के करीब एक बच्ची है, जिसकी मां गुजर चुकी है. मां के गुजरने का सदमा ओलीविया को बर्दाश्त नहीं होता और उसका बर्ताव अप्रत्याशित हो जाता है. कभी हिंसक, कभी गुमसुम. उसे सामान्य रखने के लिए डॉक्टर दवा दे रहे हैं. मगर ओलीविया को संभालना आसान नहीं है और उसकी देखरेख के लिए रखी हर आया (नैनी) उसे जल्द ही छोड़कर चली जाती है. राबिया को ओलीविया को संभालने का काम मिल जाता है और वह इसे बखूबी निभाती है. राबिया ने बचपन में पिता को खोया था और वह ओलीविया के दर्द को समझ पाती है. उसे प्यार चाहिए, दवाएं नहीं. मगर राबिया जब धीरे-धीरे ओलीविया की दवाएं बंद करती है, तो मामला पुलिस और अदालत के पास चला जाता है. अब क्या होगा राबिया का और क्या होगा ओलीविया काॽ कहानी की गुत्थी आगे सुलझती है.

एक ठंडी उदासी
फिल्म सपाट है और इसमें कहीं कोई उत्सुकता या उतार-चढ़ाव पैदा नहीं होते. जिस ढंग से कहानी आगे बढ़ती है, उसमें किसी तरह का रोमांच महसूस नहीं होता. फिल्म की गति बहुत धीमी है. पूरी कहानी में एक ठंडी उदासी है, जो धीरे-धीरे आपको फिल्म से दूर करना शुरू करती है और आप इसे औपचारिकतावश ही अंत तक देख पाते हैं. निर्देशक शादाब खान कहानी कहते हुए कहीं प्रभावित नहीं करते. वह इस कहानी के लेखक भी हैं. कलाकारों में नायाब ठीक लगी हैं और कुछ हद तक चाइल्ड आर्टिस्ट हेलेना प्रिनजे-क्लागेस भी. शीबा चड्ढा का होना और न होना बराबर है. न उनका नाम और न काम, फिल्म में कुछ जोड़ता है.

निर्देशकः शादाब खान
सितारे : नायाब खान, हेलेना प्रिनजे-क्लागेस, शीबा चड्ढा, शादाब खान, फिरोज खान, 
रेटिंग*1/2

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