Rajesh Khanna: शर्त लगाने के शौकीन थे राजेश खन्ना; लेकिन सिर्फ एक रुपये की, क्योंकि...
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Rajesh Khanna: शर्त लगाने के शौकीन थे राजेश खन्ना; लेकिन सिर्फ एक रुपये की, क्योंकि...

Rajesh Khanna Life: तमाम लोग टोटके आजमाते हैं. कोई खास ऐसी चीज करते हैं, जिससे उन्हें लगता है कि कामयाबी जरूर मिलेगी. सुपर स्टार राजेश खन्ना के बारे में कहा जाता है कि उन्हें शर्त लगाने का बड़ा शौक था. इसके पीछे उनकी सोच बेहद रोचक थी. क्यों लगाते थे राजेश खन्ना सिर्फ एक रुपये की शर्तॽ जानिए...

 

Rajesh Khanna: शर्त लगाने के शौकीन थे राजेश खन्ना; लेकिन सिर्फ एक रुपये की, क्योंकि...

Rajesh Khanna Films: राजेश खन्ना ने जो सुपरस्टारडम फिल्म इंडस्ट्री में देखा था, वह किसी और के हिस्से नहीं आया. लेकिन जब वह रेस से बाहर हुए, तो वैसा दौर भी किसी-किसी सितारे की किस्मत में लिखा होता है. इस सुपर सितारे को लेकर इंडस्ट्री में कई बातें मिथक की तरह फैली थीं. लेकिन एक बात साफ थी कि राजेश खन्ना में सफलता का इतना जुनून था कि वह इसके लिए कुछ भी कर गुजर सकते थे. 1969 में आराधना से उनकी सफलता को जो दौर शुरू हुआ था, वह लगातार 15 हिट फिल्मों के साथ 1972 में अपना देश के संग रुका था. इसके बाद उन्हें सफलता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. फिल्म अमर दीप (1979) ने राजेश खन्ना का बुरे दौर से उबारा.

आजमाया पुराना नुस्खा
राजेश खन्ना के बारे में कहा जाता है कि उन्हें शर्त लगाने का बड़ा शौक था. इसकी वजह थी कि वह शर्त में हमेशा जीतते थे. लेकिन राजेश खन्ना कभी बड़ी शर्त नहीं लगाते थे. शर्त होती थी सिर्फ एक रुपये की. 1979 में जब उन्हें सफलता का बेसब्री से इंतजार था, तो उन्होंने एक बार फिर यही नुस्खा आजमाया था. राजेश खन्ना कहते थे कि जब भी मुझे कोई चीज हर हाल में चाहिए होती है, तब मैं किसी से एक रुपए की शर्त लगाता हूं क्योंकि मैं हमेशा शर्त जीतता हूं. उन्होंने बताया कि अमर दीप की रिलीज से पहले भी मैंने यही किया और एक दोस्त के साथ एक रुपये की शर्त लगाई कि मेरी यह फिल्म हिट हो जाएगी. हुआ यह कि फिल्म देखने के बाद वितरक इसे हाथ लगाने के लिए तैयार नहीं थे. तब राजेश खन्ना ने दोस्त के साथ फिल्म की सफलता को लेकर एक रुपये की शर्त लगा ली.

बात पहुंची अवार्ड तक
नतीजा यह आया कि करीब 5 साल पश्चात कई फ्लॉप फिल्मों के बाद अमर दीप राजेश खन्ना की पहली सफल फिल्म बनी थी. इसके बाद उनकी फिफ्टी फिफ्टी, थोड़ी-सी बेवफाई, दर्द, धनवान, कुदरत, अवतार, सौतन, अगर तुम न होते फिल्में आईं. जिन्होंने राजेश खन्ना का करियर बनाए रखा. अमर दीप में राजेश खन्ना का काम इतना सराहा गया कि उन्हें 1980 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए भी नामांकित किया गया. हालांकि पुरस्कार अमोल पालेकर के खाते में गया. फिल्म थी, गोलमाल. निर्देशक आर.कृष्णमूर्ति और के. विजयन की फिल्म में राजेश खन्ना के साथ विनोद मेहरा, शबाना आजमी और अशोक कुमार मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म के लिए पहले रामेश्वरी को साइन किया गया था लेकिन आंख में चोट लग गई. जिसके बारे में पता नहीं था कि ठीक होने में कितना समय लेगी. तब उनकी जगह शबाना आजमी को लिया गया. अमर दीप में मिथुन चक्रवर्ती एक छोट-सी भूमिका में दिखते हैं. मगर उनके हिस्से कोई डायलॉग नहीं है.

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