IAS Anna Rajam Malhotra Success Story: अन्ना राजम मल्होत्रा का करियर काफी लंबा और सफल रहा था. उन्होंने 1982 के एशियाई खेलों के लिए राजीव गांधी की टीम के साथ काम भी किया था.
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IAS Anna Rajam Malhotra Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा भारत के छात्रों के लिए सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. बता दें कि रविंद्र नाथ टौगार के भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय पुरुष थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूपीएससी परीक्षा पास करने वाली पहली भारतीय महिला कौन थी?
अन्ना राजम मल्होत्रा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली पहली भारतीय महिला थीं और 1947 में भारत की आजादी के बाद पहली महिला आईएएस (IAS) अधिकारी थीं. अन्ना राजम मल्होत्रा ने 1951 से 2018 तक मद्रास में तत्कालीन सीएम सी राजगोपालाचारी के अधीन काम किया था.
अन्ना राजम मल्होत्रा ने एक लंबे और सफल करियर का आनंद लिया और कई पहलुओं पर काम भी किया. वह 1982 के एशियाई खेलों के लिए राजीव गांधी की टीम में भी शामिल हुई थीं.
1951 में, 27 वर्ष की आयु में, अन्ना राजम मल्होत्रा ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलावा आया. इंटरव्यू पैनल ने अन्ना राजम मल्होत्रा को विदेशी या केंद्रीय सेवाओं में शामिल होने के लिए भी राजी किया था क्योंकि वे महिलाओं के लिए "अधिक उपयुक्त" थीं, लेकिन वह अपने फैसले पर खड़ी रहीं और वह सिविल सेवा के मद्रास कैडर में शामिल हो गईं.
अन्ना राजम मल्होत्रा के जॉइनिंग लेटर में यह भी उल्लेख किया गया है कि उनकी शादी के बाद उनकी सेवा बंद कर दी जाएगी. हालांकि, बाद में इस नियम में बदलाव किया गया. तत्कालीन सीएम सी राजगोपालाचारी भी चिंतित थे और वह उन्हें जिला उप-कलेक्टर के रूप में "नामित करने में संकोच" करते थे क्योंकि उनका मानना था कि "महिलाओं को नागरिक बलों में सेवा नहीं देनी चाहिए".
हालांकि, अपने पूरे जीवन में अन्ना राजम मल्होत्रा ने अपने पुरुष समकक्षों के साथ काम किया और कड़ी मेहनत, कौशल और ज्ञान के माध्यम से हमेशा विजयी हुईं.
अन्ना राजम मल्होत्रा बाद में होसुर जिले की पहली महिला जिला उप-कलेक्टर बनीं. बाद में उन्होंने वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया.
दुख की बात है कि अन्ना राजम मल्होत्रा का 91 साल की उम्र में सितंबर 2018 में मुंबई में निधन हो गया, हालांकि, उनकी कहानी आज तक जीवित है. उनके निधन के बाद भी, अन्ना राजम मल्होत्रा सभी महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं.