Armero Tragedy: साल 1985 की एक रात कोलंबिया में हजारों लोगों को नींद में ही मौत आ गई थी. एक विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट ने आधी रात में तबाही मचाई. इस तबाही को अरमेरो ट्रेजडी के नाम से जाना जाता है.
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Armero Tragedy: आपने दुनिया भर में हुई कई नेचुरल डिजास्टर्स के बारे में पढ़ा और सुना होगा. प्राकृतिक आपदाएं जब भी आती हैं, अपने साथ भयंकर तबाही लाती है. एक ऐसी ही तबाही आई थी कोलंबिया के में, जब हजारों लोग मौत की आगोश में समा गए थे. आज हम आपको बताने जा रहे हैं नेचुरल डिजास्टर अरमेरो ट्रेजडी के बारे में, जो 1500 के बाद से दर्ज की गई दुनिया की चौथी सबसे घातक ज्वालामुखी विस्फोट की घटना मानी जाती है.
इलाके में हुई भयंकर तबाही
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 13 नवंबर 1985 को कोलंबिया क टोलिमा में यह आपदा आई, 69 वर्षों तक निष्क्रिय नेवाडो डेल रुइज ज्वालामुखी में अचानक विस्फोट हो गया. लावा की बौछारों से ग्लेशियर पिघल गया था, जिसके बाद तेजी से भूस्खलन हुआ. लावा, पानी और मिट्टी की बाढ़ ने अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को चपेट में ले लिया. कुछ ही समय में पूरा अरमेरो शहर का हाल बदल गया. जानकारी के मुताबिक वहां 29,000 लोग रहते थे, जिनमें से 20,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
कई शहर आए थे इसकी चपेट में
विस्फोट के बारह घंटे बाद जब राहतकर्मी कस्बे में पहुंचे. तब तक गंभीर रूप से घायल कई लोगों की जानें जा चुकी थी. पूरा शहर शवों, गिरे हुए पेड़ों और कीचड़ से अटा पड़ा था. शहर का 85 प्रतिशत हिस्सा कीचड़ में डूबा हुआ था. घटना में जिंदा बचे लोगों ने बताया कि लोग कीचड़ में बुरी तरह से फंसे हुए थे. काफी कोशिशों के बावजूद वे खुद को बचा नहीं पाए. इस विस्फोट में कुल 13 शहर और गांव पूरी तरह तबाह हो गए.
हादसे में बचे लोगों को दूसरों शहरों में बसा दिया गया. इसके बाद अरमेरो शहर को कभी नहीं बसाया जा सका, आज भी पूरा शहर वीरान पड़ा है. अब यहां झाड़ियों और वॉलपेंटिग्स से ढकीं जर्जर इमारतें और काली दीवारें रह गई हैं, जिनकी निचली मंजिलें जमीन में दबी हैं.