Choti Diwali 2022: आखिर क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली? जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
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Choti Diwali 2022: आखिर क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली? जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य

Choti Diwali 2022: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन सभी लोग यम देवता के नाम का दीया अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.  

Choti Diwali 2022: आखिर क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली? जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य

Choti Diwali 2022: इस साल दिवाली का त्यौहार सोमवार, 24 अक्टूबर को पड़ रहा है. हालांकि, हिंदू पंचांग और तिथि के हिसाब से इस बार छोटी दिवाली भी दिवाली के दिन ही पड़ रही है. बाकी आमतौर पर छोटी दिवाली दिवाली से महज एक दिन पहले मनाई जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छोटी दिवाली को यम दिवाली या नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन सभी लोग यम देवता के नाम का दीया अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. खैर प्रश्न यह है कि क्या आप जानने हैं कि आखिर छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं, तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है.

नरकासुर को प्राप्त था यह वरदान
जैसा कि हमने बताया कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी या काली चौदस भी कहते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी राज्य में नरकासुर नामक एक राक्षस रहता था. वो इतना बलशाली था कि उसने इंद्र देव को भी पराजित कर दिया था और देवी माता के कान की बालियां छीन ली थी. इसके अलावा वह राक्षस देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की बेटियों का अपहरण कर उन्हें अपने घर में बंदी बनाकर रखता था. उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था. महिलाओं के प्रति नरकासुर की द्वेष भावना को देखकर देवी सत्यभामा ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि वे उन्हें नरकासुर के वध करने का अवसर प्रदान करे. दरअसल, नरकासुर द्वारा इतने घिनौने कृत्य करने के बावजूद उसका वध कोई देवता इसलिए नहीं कर पाए थे, क्योंकि नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल एक महिला के हाथों ही हो सकती है.

श्रीकृष्ण की ऐसे बनी 16000 पत्नियां
इसी कारण से देवी सत्यभामा ने भगवान श्रीकृष्ण से नरकासुर का वध करने का निवेदन किया था. जिसके बाद सत्यभामा को भगवान श्रीकृष्ण का साथ मिला और वह भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर बैठकर नकरासुर का वध करने के लिए गईं. सत्यभामा और नरकासुर के बीच हुए युद्ध में सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर सभी 16000 बंदी कन्याओं को छुड़वा लिया. हालांकि, इतने समय से नरकासुर की कैद में रही स्त्रियों की आबरू पर लोग सवाल खड़े करने लगे थे. ऐसे में उन सभी स्त्रियों को समाज में सम्मान और मान्यता दिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सभी स्त्रियों को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. 

इसलिए मनाई जाती है छोटी दिवाली
कहा जाता है कि नरकासुर के वध के बाद उनकी माता ने यह घोषणा करी कि उनके पुत्र की मृत्यु को किसी शोक के दिन के तौर पर ना मनाकर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए. यही कारण है कि इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है.

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