भारतीय इतिहास में यह पहली बार हो रहा था, जब कोई ट्रेन एयर कंडीशन्ड बोगियों के साथ चली हो. यह ट्रेन बेहद खास थी. क्योंकि पहली बार लोगों ने गर्मियों के दौरान कूल होकर ट्रेन में सफर किया था. इस बेहद खास ट्रेन का महत्व उस समय राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से कम नहीं था.
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नई दिल्ली. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. एक समय था जब पटरियों पर कोयले के ईंधन से चलने वाली ट्रेनें दौड़ती थीं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. भारतीय रेलवे से जुड़े कई इतिहास हैं. ऐसा ही एक इतिहास एसी बोगी की ट्रेन से जुड़ा है. पहली एसी बोगी की ट्रेन का नाम- फ्रंटियर मेल था. आज से 93 साल पहले वर्ष 1928 में इस ट्रेन को शुरू किया गया था. तब इसका नाम था- पंजाब मेल(Punjab Mail). लेकिन वर्ष 1934 में इस ट्रेन में AC बोगी जोड़ी गई और इसका नाम फ्रंटियर मेल रख दिया गया.
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भारतीय इतिहास में यह पहली बार हो रहा था, जब कोई ट्रेन एयर कंडीशन्ड बोगियों के साथ चली हो. यह ट्रेन बेहद खास थी. क्योंकि पहली बार लोगों ने गर्मियों के दौरान कूल होकर ट्रेन में सफर किया था. इस बेहद खास ट्रेन का महत्व उस समय राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से कम नहीं था.
बोगियों को ऐसे किया जाता था ठंडा
उस समय तकनीकी का इतना विकास नहीं हुआ था. साथ ही तब एसी भी नहीं बनाए गए थे. ऐसे में फ्रंटियर मेल के एसी बोगी को ठंडा करने के लिए बोगियों के नीचे बर्फ की सिल्लियां लगाई जाती थीं. इसके बाद पंखों को चलाया जाता था. इससे यात्रियों को ठंडक महसूस होती थी.
कहां से कहां तक चलती थी ट्रेन?
फ्रंटियर मेल ट्रेन मुंबई से अफगान बार्डर पेशावर तक चला करती थी. ट्रेन दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंचती थी. उस समय इस ट्रेन में स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेज अधिकारियों के अलावा देश के एलीट वर्ग के कुछ लोग भी सफर किया करते थे.
फ्रंटियर मेल एक्सप्रेस एक छोर से दूसरे छोर की दूरी 72 घंटे में पूरा करती थी. इस दौरान फस्ट और सेकंड क्लास यात्रियों को खाना भी दिया जाता था. सफर के दौरान एसी बोगियों को ठंडा रखने के लिए रास्ते में अलग-अलग स्टेशनों पर बॉक्स में से पिघले हुए बर्फ यानी ठंडे पानी को खाली किया जाता था और उनकी जगह बर्फ की सिल्लियां भरी जाती थीं.
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इस ट्रेन की यह थी खासियत
- यह ट्रेन टाइमली चलती थी और कभी लेट नहीं होती थी.
- 1934 में शुरू होने के 11 महीने बाद ट्रेन पहली बार लेट हुई. इस पर सरकार ने ड्राइवर को शोकॉज नोटिस भेजा था.
-1940 तक ट्रेन में 6 बोगियां होती थीं और करीब 450 लोग सफर करते थे.
- यात्रियों को खाने के अलावा अखबार, किताबें और मनोरंजन के लिए ताश के पत्ते दिए जाते थे.
- 1996 में इस ट्रेन का नाम बदलकर ‘गोल्डन टेंपल मेल’ कर दिया गया था.
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