Success Story: एक ऐसे गांव की तपस्या बनीं IAS ऑफिसर, जहां की आबादी 1000 भी नहीं, ऐसा रहा किसान की बेटी का सफर
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Success Story: एक ऐसे गांव की तपस्या बनीं IAS ऑफिसर, जहां की आबादी 1000 भी नहीं, ऐसा रहा किसान की बेटी का सफर

Success Story: अपने नाम को उन्होंने पूरी तरह सार्थक किया और अथक परिश्रम के दम पर अपने सपने को साकार किया. तपस्या की सफलता यह प्रेरणा देती है कि आपका बैकग्राउंड कैसा है और आप कितनी बार असफल होते हैं ये सब बिल्कुल भी मायने नहीं रखता. पढ़ें उनकी सफलता की कहानी..

Success Story: एक ऐसे गांव की तपस्या बनीं IAS ऑफिसर, जहां की आबादी 1000 भी नहीं, ऐसा रहा किसान की बेटी का सफर

Tapasya Parihar Success Story: देश के ज्यादातर युवा यूपीएससी (UPSC) में सफलता पाने का सपना देखते हैं और इसके लिए अथक परिश्रम भी करते हैं. कभी किसी को पहली बार में ही सफलता हासिल हो जाती है तो कई बार किसी को अपनी मंजिल तक पहुंचने में थोड़ा ज्यादा समय लग जाता है. हालांकि, जीत उसी की होती है जो मेहनत से डरता नहीं और हार कर रुकता नहीं. वो कहा जाता है ना कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती यह वाक्य यूपीएससी टॉपर तपस्या परिहार (UPSC Topper Tapasya Parihar) पर बिल्कुल सटीक बैठती है. उन्होंने अपने दूसरे अटेम्प्ट में ऑल इंडिया रैंक 23 पर अपना दबदबा कायम किया. आज हम इस सक्सेस स्टोरी (Success Story) में तपस्या परिहार के इस कठिन सफर के बारे में बात करेंगे... 

मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं तपस्या

तपस्या परिहार के सफर की शुरुआत नरसिंहपुर मध्य प्रदेश से होती है. उन्होंने स्कूल की पढ़ाई सेंट्रल स्कूल से पूरी की और उसके बाद उन्होंने पुणे के इंडियन लॉ सोसायटी लॉ कॉलेज से आगे की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी क्रेक करने का मन बनाया और इसकी तैयारी के लिए कोचिंग ज्वॉइन कर ली. तपस्या ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए खूब मेहनत की, लेकिन पहले प्रयास में ही प्रीलिम्स में वह फेल हो गईं.

दूसरे अटेम्प्ट में पाई अपनी मंजिल
इस असफलता के बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी के जरिए एग्जाम पास क्लियर का ठान लिया. उन्होंने इसकी तैयारी के लिए स्ट्रेटजी खुद ही बनाई और नोट और आंसर पेपर की मदद से अपनी पढ़ाई जारी रखी. इस मेहनत का नतीजा यह रहा कि उन्होंने अपने दूसरे अटेम्प्ट में ना सिर्फ सफलता प्राप्त की, बल्कि ऑल इंडिया रैंक 23 हासिल की. 

छोटी सी जगह से रखती हैं ताल्लुक
गांव तो छोड़िए तपस्या एक ऐसे छोटे कस्बे से आती हैं, जहां की जनसंख्या मात्र 800 लोगों की है. यहां का साक्षरता दर 63 प्रतिशत है. तपस्या के पिता विश्वास परिहार किसान परिवार से आते हैं, लेकिन जब तपस्या ने घर में अपने सपने के बारे में बताया तो उनके परिवार से उन्हें पूरा सहयोग मिला. 

अपने नाम को किया सार्थक
उनका नाम तपस्या है जिसे उन्होंने पूरी तरह सार्थक किया और अथक परिश्रम के दम पर अपने सपने को साकार किया. यह कहना गलत नहीं होगा कि तपस्या का यूपीएससी का सफर सभी को यह प्रेरणा देता है कि आपका बैकग्राउंड कैसा है और आप कितनी बार असफल होते हैं ये सब बिल्कुल भी मायने नहीं रखता. मायने रखता है तो केवल दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत.

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