यूपीएससी की परीक्षा के दौरान कई बार अभ्यर्थियों को असफलता का सामना भी करना पड़ता है. इन असफलताओं के चलते कई अभ्यर्थी हार मान कर पीछे हट जाते हैं. वहीं कुछ अभ्यर्थी अपनी गलतियों को सुधारते हुए दोबारा प्रयास करते हैं और सफलता हासिल कर लेते हैं. ऐसे ही अभ्यर्थियों में आईएएस ऑफिसर दीपांकर चौधरी का नाम शामिल है. दीपांकर ने कड़ी मेहनत की बदौलत पहले आईपीएस और फिर आईएएस का पद हासिल किया है.
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नई दिल्ली: यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास करना बहुत से लोगों का सपना होता है, लेकिन इस सपने को पूरा बहुत कम लोग ही कर पाते हैं. यूपीएससी की परीक्षा हमारे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. इस परीक्षा में सफल होने के लिए अभ्यर्थियों को दिन-रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इस परीक्षा के दौरान कई बार अभ्यर्थियों को असफलता का सामना भी करना पड़ता है. इन असफलताओं के चलते कई अभ्यर्थी हार मान कर पीछे हट जाते हैं. वहीं कुछ अभ्यर्थी अपनी गलतियों को सुधारते हुए दोबारा प्रयास करते हैं और सफलता हासिल कर लेते हैं. ऐसे ही अभ्यर्थियों में आईएएस ऑफिसर दीपांकर चौधरी (IAS Officer Dipankar Chaudhary) का नाम शुमार है. दीपांकर चौधरी ने साल 2019 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर 42वीं रैंक हासिल की थी. उन्होंने यह सफलता अपने चौथे प्रयास में हासिल की थी. आइये आज हम आपको दीपांकर चौधरी की सफलता की कहानी बताते हैं.
दीपांकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड से पूरी की थी. प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर दीपांकर दिल्ली आ गए और बाकी की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली में ही की. साल 2015 में उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और इसके बाद नौकरी करने का निर्णय लिया. बता दें कि ग्रेजुएशन के दौरान दीपांकर की यूपीएससी से जुड़े किसी भी क्षेत्र में जाने की कोई इच्छा नहीं थी. हालांकि, नौकरी करने के कुछ ही समय बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की ठान ली और परीक्षा की तैयारियों में जुट गए.
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दीपांकर ने साल 2016 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन उन्हें इस परीक्षा के पहले दो प्रयासों में सफलता प्राप्त नहीं हुई थी. इसके बावजूद दीपांकर ने हार नहीं मानी और अपने तीसरे प्रयास में कड़ी मेहनत की बदौलत उन्होंने 166 वीं रैंक हासिल की. इस सफलता के बाद उन्हें आईपीएस (IPS) का पद सौंपा गया. आईपीएस की नौकरी करते हुए भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी जारी रखी क्योंकि उनका सपना एक आईएएस ऑफिसर बनने का था. दीपांकर ने अपना सपना चौथे प्रयास में पूरा कर दिखाया और सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 42वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस (IAS) का पद हासिल किया. दीपांकर चौधरी की सफलता की यह कहानी आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है.
दीपांकर बताते हैं कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा के दौरान उन्होंने कभी भी किताबों को लेकर ज्याहा तनाव नहीं लिया. जो स्टैंडर्ड बुक्स बाजार में उपलब्ध थी, उन्हीं की सहायता से उन्होंने अपनी तैयारी की. दीपांकर का यह भी मानना हैं कि इस परीक्षा के लिए छात्रों को कम से कम ढ़ाई साल के करेंट अफेयर्स को पढ़ना चाहिए. वे कहते हैं कि आजकल के परीक्षा पैटर्न के अनुसार करेंट अफेयर्स को कंटेम्परेरी अफेयर्स कहना गलत नहीं होगा.